अश्कों ने जो पाया है-चांदी की दीवार १९६४
बिखरे पड़े हैं कि जिनका कद फिल्मों से ऊंचा हो जाता
है कालांतर में. ठाकू जरनैल सिंह का गाना-हम तेरे बिन
जी न सकेंगे तो आपको याद ही होगा. क्या आपको
हेलन याद आती हैं जिन पर ये गीत फिल्माया गया है
या फिल्म के नायक शेख मुख्तार का नाम याद आता है
या फिर गीत के गीतकार असद भोपाली और संगीतकार
गणेश के नाम याद आते हैं? नहीं ना. ऐसा ही कुछ है
दिलीप बोस निर्देशित फिल्म चांदी की दीवार के गीत के
साथ. वैसे जनता तो ये भी भूल चुकी है कि बरसात का
गीत-मेरी आँखों में बस गया कोई रे किस पर फिल्माया
गया है-नर्गिस पर या निम्मी पर.
दिलीप बोस ने हिंदी में सन १९७१ की संसार और १९७३
की ठोकर का निर्देशन भी किया है. संयोग से १९७१ की
संसार में भी साहिर के लिखे गीत हैं. संगीत चित्रगुप्त का
है. दिलीप बोस ने भोजपुरी में कई उल्लेखनीय फ़िल्में
बनायीं हैं.
इस फिल्म से तलत महमूद का गाया गीत जिसकी एक
पंक्ति आज भी कान में किसी पंखों के बनाये हुए reamer
की तरह भेदन करती है-जो तार से निकली है वो धुन
सबने सुनी है, जो साज़ पे गुजरी है कसी दिल ने सुना
है.
गीत के बोल और संगीत दोनों उम्दा हैं और इस पर
किसी संगीत भक्त को रत्ती भर संदेह नहीं होना चाहिए.
साहिर लुधियानवी की रचना है और एन दत्ता का
संगीत.
गीत के बोल:
अश्कों ने जो पाया है वो गीतों में दिया है
इस पर भी सुना है के ज़माने को गिला है
अश्कों ने जो पाया है
जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है
जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है
जो साज़ पे गुजरी है वो किस दिल को पता है
अश्कों ने जो पाया है वो गीतों में दिया है
इस पर भी सुना है के ज़माने को गिला है
अश्कों ने जो पाया है
हम फूल हैं औरों के लिए लाये हैं खुशबू
हम फूल हैं औरों के लिए लाये हैं खुशबू
अपने लिए ले दे के बस इक दाग मिला है
अश्कों ने जो पाया है वो गीतों में दिया है
इस पर भी सुना है के ज़माने को गिला है
अश्कों ने जो पाया है
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Askhon ne jo paaya hai-Chandi ki deewar 1964
Artist: Bharat Bhushan
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