Nov 13, 2019

खेलो ना मेरे दिल से-हकीक़त १९६४

श्रोता के दिमाग के तार झनझना दे ऐसी धुनें केवल
सलिल चौधरी ने नहीं बल्कि अन्य संगीतकारों ने भी
बनायीं हैं. मदन मोहन के खज़ाने में भी ऐसी कुछ
धुनें हैं.

प्रस्तुत गीत फिल्म हकीक़त से है जिसे कैफी आज़मी
ने लिखा है. गीत में वाद्य यंत्र कम से कम प्रयोग में
लाये गए हैं और बस हावी होने की रेखा को छू कर
अपनी जगह पर वापस आ जाते हैं.

कुछ कुछ ऐसा ही है जैसे हमारे ब्लॉग की पोस्ट होती
हैं. गीत का बखान करने के लिए दस पेज का निबंध
लिखना ज़रूरी नहीं है. इधर उधर की आयं बायं सायं
घुसेडो और जगह जगह का कूड़ा इकठ्ठा कर के ब्लॉग
को खंती बना डालो. उसके बाद स्वच्छ भारत अभियान
का गाना गाओ. इन सब से बेहतर है संक्षेप में बात
कह लो.



गीत के बोल:

खेलो ना मेरे दिल से
खेलो ना मेरे दिल से
ओ मेरे साजना ओ साजना ओ साजना
खेलो ना खेलो ना मेरे दिल से
खेलो ना मेरे दिल से

मुस्कुरा के देखते तो हो मुझे
ग़म है किसलिये निगाह में
मुस्कुरा के देखते तो हो मुझे
ग़म है किसलिये निगाह में
मंज़िल अपनी तुम अलग बसाओगे
मुझको छोड़ दोगे राह में
प्यार क्या दिल्लगी प्यार क्या खेल है

खेलो ना मेरे दिल से
ओ मेरे साजना ओ साजना ओ साजना
खेलो ना मेरे दिल से

क्यूँ नज़र मिलाई थी लगाव से
हँस के दिल मेरा लिया था क्यूँ
क्यूँ नज़र मिलाई थी लगाव से
हँस के दिल मेरा लिया था क्यूँ

क्यूँ मिले थे ज़िन्दगी के मोड़ पर
मुझको आसरा दिया था क्यूँ
प्यार क्या दिल्लगी प्यार क्या खेल है

खेलो ना मेरे दिल से
ओ मेरे साजना ओ साजना ओ साजना
खेलो ना खेलो ना मेरे दिल से
खेलो ना मेरे दिल से
खेलो ना मेरे दिल से
..........................................................
Khelo na mere dil se-Haqeeqat 1964

Artist: Priya Rajvansh

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