दिल तुझपे आ गया-दिल है कि मानता नहीं १९९१
में चर्चा की थी. इस फिल्म का थोडा जवान संस्करण
है-दिल है कि मानता नहीं. एक्टिंग का लेवल १९५६
की चोरी चोरी जैसा तो नहीं है मगर फिल्म में एक
खास बात है-इस फिल्म के संवाद प्रसिद्ध व्यंग्यकार
शरद जोशी ने लिखे हैं.
सुनते हैं फिल्म से एक गीत जिसमें हीरो और हीरोईन
छुपते छुपाते एक जगह पहुँच जाते हैं जहाँ उछल-कूद
और गायन हो रहा है. उन्हें ढूंढते हुए देसी मैन इन
ब्लैक पहुँच जाते हैं. लगता है उनके सारे उपकरण
और ज्ञानचक्षु की बैटरी डाउन है तभी तो वे पहचान
नहीं पा रहे हैं नायक और नायिका को जिन्हें मूढ़
से मूढ़ देखने वाला भी एक झलक में पहचान जाता
है. प्राइवेट डिटेक्टिव के रोल में हैं वीरेंद्र सक्सेना और
राकेश बेदी.
समीर का गीत है, अनुराधा पौडवाल और अभिजीत की
आवाजें और बाजे-गाजे की व्यवस्था नदीम श्रवण की.
गीत के बोल:
दिल तुझपे आ गया
दिल तुझपे आ गया क्या नशा छा गया हे हे हे
दिल तुझपे आ गया क्या नशा छा गया हे हे हे
मेरा दिल मेरी जां मेरा चैन मेरी आरज़ू सिर्फ़ तू
सिर्फ़ तू
दिल तुझपे आ गया क्या नशा छा गया हो हो हो
मेरा दिल मेरी जां मेरा चैन मेरी आरज़ू सिर्फ़ तू
सिर्फ़ तू
दिल तुझपे आ गया क्या नशा छा गया हे हे हे
रू रू रू रू रू रू
जब से तुझको देखा है दिल है बेक़रार
जब से तुझको देखा है दिल है बेक़रार
तू क्या जाने तुझसे कितना करता हूँ मैं प्यार
तू क्या जाने तुझसे कितना करता हूँ मैं प्यार
फ़साने उल्फ़त के तुझे सुना दूंगा
जो मेरे दिल में है तुझे बता दूंगा
जो मेरे दिल में है तुझे बता दूंगा
दिल तुझपे आ गया
दिल तुझपे आ गया क्या नशा छा गया हो हो हो
दिल तुझपे आ गया
दिल तुझपे आ गया क्या नशा छा गया हो हो हो
हो मेरे दिल की हालत तुझे क्या है पता
मेरे दिल की हालत तुझे क्या है पता
मैने तुझको चाहा इसमें मेरी क्या है खता
मैने तुझको चाहा इसमें मेरी क्या है खता
तू एक मुसाफ़िर है मैं तेरी मंज़िल हूँ
तू एक तराना है मैं तेरी महफ़िल हूँ
तू एक तराना है मैं तेरी महफ़िल हूँ
दिल तुझपे आ गया
दिल तुझपे आ गया क्या नशा छा गया हो हो हो
दिल तुझपे आ गया
दिल तुझपे आ गया क्या नशा छा गया हे हे हे
मेरा दिल मेरी जां मेरा चैन मेरी आरज़ू सिर्फ़ तू
सिर्फ़ तू
सिर्फ़ तू सिर्फ़ तू
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Dil tujhpe aa gaya-Dil hai ki manta nahin 1991
Artists: Aamir Khan, Pooja Bhatt, Veerendra Saxena, Rakesh Bedi
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