Jan 18, 2020

दो नैनों में आँसू भरे हैं-खुशबू १९७५

सृजनशीलता अमूमन उत्कृष्टता के साथ ही जोड़ी जाती
है. सृजन उत्कृष्ट और निकृष्ट सभी प्रकार की चीज़ों का
हो सकता है. वैसे ही कल्पनाशीलता का हाल है. कल्पना
किसी भी चीज़ की की जा सकती है.

उम्दा सामान निर्माण के लिए उम्दा विचारों और सहयोग
की आवश्यकता होती है. कई बार आइडिया बढ़िया होता
है मगर उसका इम्प्लेमेंटेशन गडबड हो जाता है. अक्सर
हमने देखा है साहित्यिक कृतियों के नाट्य रूपांतर और
फ़िल्मी संस्करण में लेखन की कल्पना अल्पना बन जाती
है. अल्पना का अर्थ है रंगोली.

सुनते हैं फिल्म खुशबू से एक उम्दा गीत जिसे गाया है
लता मंगेशकर ने. बोल गुलज़ार के हैं और इस गीत का
संगीत पंचम ने तैयार किया है. गीत फास्ट और स्लो
दो वर्ज़न में उपलब्ध है. हम आपको स्लो वाला सुनवा
रहे हैं.



गीत के बोल:

दो नैनों में आँसू भरे हैं
निंदिया कैसे समाये
निंदिया
दो नैनों में आँसू भरे हैं
निंदिया कैसे समाये

डूबी डूबी आँखों में सपनों के साये
रात भर अपने हैं दिन में पराये
कैसे नैनों में निंदिया समाये

दो नैनों में आँसू भरे हैं
निंदिया कैसे समाये

झूठे तेरे वादों पे बरस बिताये
ज़िंदगी तो काटी ये रात कट जाये
कैसे नैनों में निंदिया समाये

दो नैनों में आँसू भरे हैं
निंदिया कैसे समाये
…………………………………………….
Do nainon mein aansoo bhare hain-Khushboo 1975

Artists: Hema Malini

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