ओ साथी ओ साथी-हनीमून १९७३
में एक बार आता है. इसे त्यौहार कहते मैंने ३-४ लोगों
को सुना और उनके उदगार लगभग एक सरीखे थे. कुछ
कहते हैं मनी है तो हनी है. जितनी ज्यादा मनी लगाओगे
उतना आनंद मिलेगा. हिल स्टेशन पर जाओ या किसी दूसरे
ग्रह पर हनीमून तो हनीमून ही रहेगा.
हनीमून को कई सयाने मनी-खून भी कहते हैं. ऐसे लोग
अक्सर घर में ही ऐसे कार्यक्रम कर लिया करते हैं और पैसे
बचा लेते हैं, या गए भी तो नज़दीक की किसी छोटी पहाड़ी
पर. क्या पहाड़ी ज़रूरी है इस कार्यक्रम के लिए. धरती पर
सारी चीज़ें गुरुत्व (ग्रेविटी)के सिद्धांत का पालन करती है.
एक भौतिकशास्त्री ने भौतिकता के इस पहलू पर बड़ा ही
अच्छा वक्तव्य दिया-भावनाएं हो या झरने का पानी सब
ऊपर से नीचे आता है. पहाड़ की चोटी पर चढ कर पत्थर
भी लुडकाओ तो वो नीचे ज़मीन की तरफ़ आता है. आदमी
जितना जल्दी भ्रमजाल से निकल के उतर आये उतना ही
अच्छा. आगे ना पीछे लुड़कना तो है ही.
फिल्म हनीमून से एक गीत सुनते हैं रफ़ी का गाया हुआ.
इसके बोल योगेश ने लिखे हैं और संगीत उषा खन्ना ने
तैयार किया है. एक ज़माने में ये गाना खूब सुना गया है.
इसकी वजह इसके बोल हैं.
गीत के बोल:
दिन हैं ये बहार के फूल चुन ले प्यार के
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो
दिन हैं ये बहार के फूल चुन ले प्यार के
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो
तेरे हँसते होंठों से बिछड़े तेरे गीत क्यूँ
बरसे सावन प्यार का तरसे तेरी प्रीत क्यूँ
बीत ना जाये कहीं प्यार का सावन यूँ ही
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो
शायद कहता है तुझसे सहमा सहमा दिल तेरा
तेरी गुजरी जिंदगी थामे ना आँचल तेरा
प्यार जो करते हैं वो यूँ नहीं डरते हैं वो
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो
दुल्हन बन कर जिंदगी चलती तेरे साथ है
बढ़ कर बाहें थाम ले रुकने की क्या बात है
आज क्यूँ है दूरियां क्यूँ हैं ये मजबूरियां
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो
होना था जो वो हो गया साथी अब ना सोच तू
कह कर मन के भेद ये हल्का कर ले बोझ तू
ये ख़ामोशी तोड़ के ये उदासी छोड़ के
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो
दिन हैं ये बहार के फूल चुन ले प्यार के
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो
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O sathi o sathi-Honeymoon 1973
Artists: Anil Dhawan, Leena Chandavarkar
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