Mar 4, 2020

मैं हूँ आशिक-आशिक आवारा १९९३

क्या आशिक का आवारा होना ज़रूरी है या फिर आवारा
लोग आशिक बना जाया करते हैं. इसके उलट आशिकी में
आवारा बनने की संभावनाएं जयादा होती हैं.

एक ज़माने में झपूरिये अर्थात वे जिनकी केश राशि कुछ
जायद ही लंबी और बेतरतीब होती थी उनको जनता सहज
ही आवारा-मवाली की संज्ञा प्रदान करती थी और सर में
तेल चुपडों को संभ्रांत भले ही वे कितने ही उजड्ड क्यूँ ना
हों. ये कुछ ऐसा ही है जैसे शादीशुदा लोगों को पब्लिक
सम्मान ज़्यादा देती है भले ही वे कितने लम्पट क्यूँ ना
हों.

खैर वो समय था जब जनता किसी भी संज्ञा या विशेषण
का बुरा नहीं माना करती थी. आगे आगे देखिये एक समय
वो भी आएगा जब किसी को भाई बोलने पर भी जनता
भड़केगी.





गीत के बोल:

ये ज़रा सी दिल्लगी दिल की लगी बन जायेगी
मैं तेरा बन जाऊँगा और तू मेरी बन जायेगी
रु रु रु रु रु रु रु रु रु रु
दीवाना मस्ताना हरजाई सौदाई बिल्कुल कंवारा
मैं हूँ आशिक आशिक आवारा
मैं हूँ आशिक आशिक आवारा
दीवाना मस्ताना हरजाई सौदाई बिल्कुल कंवारा
मैं हूँ आशिक आशिक आवारा
मैं हूँ आशिक आशिक आवारा

ग्यारह हसीनों ने मुझे लूटा ग्यारह दफा दिल मेरा टूटा
ग्यारह हसीनों ने मुझे लूटा ग्यारह दफा दिल मेरा टूटा
तू है मेरा लकी नंबर
तू है मेरा लकी नंबर तेरा नंबर है बारह
मैं हूँ आशिक आशिक आवारा
मैं हूँ आशिक आशिक आवारा
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Main hoon aashik-Aashik awara 1993

Artist: Saif Ali Khan

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