अम्बुआ के पेड़ सुहाने-सबक १९५०
के पेड़ इस समय ज्यादा सुहाने इसलिए लगते हैं क्यूंकि
इसमें फल लगने वाले होते हैं. कच्चे आम खाओ या पके,
चटनी बनाओ या रस बनाओ. फलों का राजा है आम.
सुनते हैं फिल्म संगीत के सुनहरे दौर से एक गाना जिसे
लिखा है दीनानाथ मधोक ने और इसकी धुन तैयार की
है ए आर क़ुरैशी ने. इसे सुरिंदर कौर, आशा भोंसले और
प्रेमलता ने गाया है. साथ में कोरस की आवाजें फ्री हैं.
इस लोड किये हुए गाने पर जो फोटू चल रहा है वो है
१९७३ फिल्म की सबक का जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा नज़र
आ रहे हैं. सन १९५० की फिल्म के हीरो करण दीवान हैं.
गीत के बोल:
अम्बुआ के पेड़ सुहाने
का कहें का कहें मोसे कौन जाने
अम्बुआ के पेड़ सुहाने
का कहें का कहें मोसे कौन जाने
अम्बुआ के पेड़ झूमें मस्त हवाओं में
अम्बुआ के पेड़ झूमें मस्त हवाओं में
तोहे पुकारे री आ जा हो आ जा
ठंडी ठंडी छाँव में
तोहे पुकारे री आ जा हो आ जा
ठंडी ठंडी छाँव में
कर ले मुहब्बत किसी बहाने
कर ले मुहब्बत किसी बहाने
का कहें का कहें मोसे कौन जाने
अम्बुआ के पेड़ सुहाने
का कहें का कहें मोसे कौन जाने
गया बचपना आई जवानी
लेकर आई सौ अरमाँ
निकल के रहेंगे सब अरमाँ
धीरज धर लो मेरी जाँ
निकल के रहेंगे सब अरमाँ
धीरज धर लो मेरी जाँ
नैना तिहारे री गोरी हो गोरी
लगे मुस्काने
नैना तिहारे री गोरी हो गोरी
लगे मुस्काने
दिल का पपीहा भी लगा गाने
दिल का पपीहा भी लगा गाने
का कहें का कहें मोसे कौन जाने
अम्बुआ के पेड़ सुहाने
का कहें का कहें मोसे कौन जाने
……………………………………………..
Ambua ke ped suhane-Sabak 1950
Artists:
0 comments:
Post a Comment