दिल-ए-बेताब को सीने से-पालकी १९६७
के गाये काफी युगल गीत सुनवाये हैं. फेमस और रेयर
दों टाइप के सुन चुके हैं आप लोग.
आज एक लोकप्रिय वाला सुन लेते हैं. फिल्म पालकी का
ये गीत अपने पहले अंतरे के अनूठेपन के लिए जाना जाता
है. हुस्न की फायर और इश्क की फायर ब्रिगेड.
बोल शकील बदायूनीं के हैं और संगीत नौशाद का.
गीत के बोल:
दिल-ए-बेताब को सीने से लगाना होगा
आज पर्दा है तो कल सामने आना होगा
आपको प्यार का दस्तूर निभाना होगा
दिल झुकाया है तो सर को भी झुकाना होगा
दिल-ए-बेताब को सीने से लगाना होगा
अपनी सूरत को तू ए जान-ए-वफ़ा यूँ न छुपा
गर्मी-ए-हुस्न से जल जाये न आँचल तेरा
लग गई आग तो मुझको ही बुझाना होगा
दिल झुकाया है तो सर को भी झुकाना होगा
दिल-ए-बेताब को सीने से लगाना होगा
आज आलम है जो दिल का वो बताये न बने
पास आये न बने दूर भी जाये न बने
मैँ हूँ मदहोश मुझे होश में लाना होगा
आज पर्दा है तो कल सामने आना होगा
आपको प्यार का दस्तूर निभाना होगा
आप तो इतने क़रीब आ गये अल्लाह तौबा
क्या करें आप से टकरा गये तौबा तौबा
इश्क़ इन बातों से रुसवा-ए-ज़माना होगा
दिल-ए-बेताब को सीने से लगाना होगा
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Dil-e-betaab ko seene se-Palki 1967
Artists: Waheeda Rehman, Rajendra Kumar
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