बांसुरी ये बांसुरी-साहिबां १९९३
है. आज हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के प्रिय चॉकलेटी हीरो चिंटू
उर्फ ऋषि कपूर भी इस नश्वर संसार से कूच कर गये.
सालों के उल्लेखनीय कैरियर में फ़िल्मी परदे पर रोमांस
के अलावा अपने अभिनय की धाक ज़माने वाले अभिनेता
की ढेर सारी यादें ही अब दर्शकों के लिए बाकी हैं. कपूर
परिवार के सभी कलाकारों में से वही हैं जिन्होंने सॉफ्ट
किस्म के और खुशनुमा रोल ज्यादा किये और दर्शकों के
बीच अपनी अलग पहचान बनाई.
परदे पर ऋषि कपूर ने कई वाद्य यन्त्र बजाये हैं. इस
बारे में उन्होंने रजत शर्मा के कार्यक्रम आप की अदालत
में कुछ जिक्र किया था. वो कार्यक्रम एक बार आपको ज़रूर
देखना चाहिए.
सुनते हैं फिल्म साहिबां से एक गीत हरिहरन की आवाज़
में जिसे आनंद बक्षी ने लिखा है. इसकी धुन तैयार की है
शिव हरि ने.
गीत के बोल:
बांसुरी ये बांसुरी नहीं बांसुरी ये है मेरी जिंदगी
बांसुरी ये बांसुरी नहीं बांसुरी ये है मेरी जिंदगी
ये है मेरी जिंदगी
कभी रूठ जाये ना ये कभी छूट जाये न ये
कभी रूठ जाये ना ये कभी छूट जाये न ये
बस टूट जाये ना ये
परवाह नहीं मुझे और किसी बात की ये है मेरी जिंदगी
ये है मेरी जिंदगी
गांव में मेला बढ़ा लोगों का रेला बढ़ा
पर मैं अकेला बढ़ा
आई नहीं कभी कोई चिट्ठी मेरे नाम की ये है मेरी जिंदगी
ये है मेरी जिंदगी
दिल है ना अरमान हैं घर है ना सामान है
दिल है ना अरमान हैं घर है ना सामान है
ये मेरी पहचान है
पागल कहती हैं मुझे लड़कियां गांव की ये है मेरी जिंदगी
ये है मेरी जिंदगी
बांसुरी ये बांसुरी नहीं बांसुरी
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Bansuri ye bansuri-Saahiban 1993
Artist: Rishi Kapoor
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