जागते रहो-जस्ट मैरिड २००७
जस्ट मैरिड से जो २००७ की फिल्म है. इसका निर्देशन
मग्न गुलज़ार ने किया है.
दिन का पोटली और रात की थैली अब गीतों में भी
सुनाई देने लगे हैं. आधुनिक गीतों का दौर है और इस
बहाने हमें विलायती गायन वाला छौंक देसी गीतों में
बखूबी प्राप्त होता है. सन २००५ तक लूप संगीत वाला
युग दरवाजे पर ठक-ठक करने लगा था.
गुलज़ार की रचना को श्रवणते हैं सोनू निगम की आवाज़
में. प्रीतम चक्रवर्ती इस गीत के संगीतकार हैं. इस गाने
को आपने एक ना एक बार अवश्य सुना होगा.
गीत के बोल:
जागते रहो हथेली खुलने लगी
कि रात अब उड़ने लगी
कहानियों की
शाम तो चली सुलगने दो ज़रा शब को
कि ख़ुशबू आयेगी सबको
हरे ख़्वाबों की
पहला पहला ये क़दम है
चाहत है पर ज़ोर कम है
पहली पहली रात है ये
आगे जो हो
आख़िर अगर ठीक है तो सभी ठीक है
जागते रहो
जब रात की थैली खुले
क्या जानिये क्या कुछ मिले
हो ओ ओ जब रात की थैली खुले
क्या जानिये क्या कुछ मिले
शहनाई भी सन्नाटे भी
सपने कहीं खर्राटे भी
छलके छलके नैन भी हैं
बेचैनी में चैन भी है
पहल पहली रात है ये
आगे जो हो
आख़िर अगर ठीक है तो सभी ठीक है
जागते रहो
ये रात है फ़रमान की
उम्मीद की अरमान की
हो ये रात है फ़रमान की
उम्मीद की अरमान की
शिकवे गिले नाराज़गी
आँखों में ओस की ताज़गी
क़तरा क़तरा जब घुलेगी
निखरी निखरी शब खुलेगी
पहली पहली रात है ये
आगे जो हो
आख़िर अगर ठीक है तो सभी ठीक है
जागते रहो हथेली खुलने लगी
कि रात अब उड़ने लगी
कहानियों की
शाम तो चली सुलगने दो ज़रा शब को
कि ख़ुशबू आयेगी सबको
हरे ख़्वाबों की
पहला पहला ये क़दम है
चाहत है पर ज़ोर कम है
पहली पहली रात है ये
आगे जो हो
आख़िर अगर ठीक है तो सभी ठीक है
जागते रहो हथेली खुलने लगी
कि रात अब उड़ने लगी
कहानियों की
जागते रहो
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Jagte raho-Just married 2007
Artists: Fardeen Khan, Esha Deol
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