मेरे लिये...रातों का राजा हूँ-शीर्षक गीत १९७०
भी है कि दर्शक अगर सो जाए तो इस गीत को सुन कर
झटका खा के उठ बैठे. कुछ गीत तो ऐसे हैं जिन्हें देख
के दर्शक सो भी जाया करते हैं. ऐसे गीतों को कहते है
बिन-लोरी-सुलाये-गीत.
धीरज कुमार ने अभिनय के क्षेत्र में काफी कोशिश करी
मगर हिट फिल्म का उन्हें इंतज़ार ही रह गया. कई फिल्म
बनाने वालों के पटिये बिक गए होंगे.
निर्देशक ने इस गीत में रिस्क ना लेते हुए वो सब दिखाया
है जो अभिनय ना आने कि सूरत में दिखलाया जाता है.
और वो सब ४० फीट के परदे पर ३०-३५ फीट साइज़ का
दीखता है. ये सब देख कर आगे की कुर्सी पर बैठा दर्शक
उछल पड़ता था. उसे सीट पर छितरे मच्छर खटमल भी
ना रोक पाते.
एक सवाल खड़ा होता है टाईट कपडे पहन कर ये नाचते हैं
तो किसी के भी चर्र कर के फटते नहीं हैं क्या?
सुनते हैं मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ गीत जिसे गा
रहे हैं रफ़ी. संगीतकार का नाम है आर डी बर्मन.
गीत के बोल:
धरती से सितारों तक है मेरा इंतज़ाम
रातों का राजा हूँ मैं
मेरे लिए आती है शाम चंदा भी है मेरा ग़ुलाम
धरती से सितारों तक है मेरा इंतज़ाम
रातों का राजा हूँ मैं
महफ़िल सजे डोलूँ जिधर से
साक़ी बहके मेरी नज़र से
महफ़िल सजे डोलूँ जिधर से
साक़ी बहके मेरी नज़र से
चाहूँ तो अभी खुद चल के आये जाम
मेरे लिए आती है शाम चंदा भी है मेरा ग़ुलाम
धरती से सितारों तक है मेरा इंतज़ाम
रातों का राजा हूँ मैं
खिड़की खुले मुझे बुलाये
महलों में है मेरे ही साये
खिड़की खुले
खिड़की खुले मुझे बुलाये
महलों में है मेरे ही साये
सोते जागते सब जानें मेरा नाम
मेरे लिए आती है शाम चंदा भी है मेरा ग़ुलाम
धरती से सितारों तक है मेरा इंतज़ाम
रातों का राजा हूँ मैं
मैनें जवाँ होंठों की लाली
अकसर पलकों से ही चुरा ली
मैनें जवाँ
मैनें जवाँ होंठों की लाली
अकसर पलकों से ही चुरा ली
सारे गुलबदन मुझे करते हैं सलाम
मेरे लिए आती है शाम चंदा भी है मेरा ग़ुलाम
धरती से सितारों तक है मेरा इंतज़ाम
रातों का राजा हूँ मैं
मेरे लिए आती है शाम चंदा भी है मेरा ग़ुलाम
धरती से सितारों तक है मेरा इंतज़ाम
रातों का राजा हूँ मैं
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Mere liye…raaton ka raja-Titlesong 1970
Artist: Dheeraj Kumar
3 comments:
हा हा
गुज़रे ज़माने का बम डिगी डिगी बम
हाँ.
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