May 21, 2020

तुमको पाया है तो-ओम शांति ओम २००७

अक्सर मैं भाषा और उसके ऊपर फ़िल्मी प्रयोगों के बारे
में सोचता हूँ, बस सोचता ही रह जाता हूँ किसी निष्कर्ष
विशेष पर नहीं पहुँच पाता. बरसों से यही आदत सी बनी
हुई है. पाठक वर्ग भी जो यहाँ प्रस्तुत है उसे चुपचाप झेले
जा रहा है.

एक दिन मैं फिल्मों के नामों में ‘धूल में लट्ठ’ शब्द को
ढूँढने की कोशिश कर रहा था. इस नाम से तो कोई फिल्म
नहीं मिली अलबत्ता बहुत से रोचक नाम फिर से ध्यान में
आ गए.

एक समय था जब नंबर वन या खिलाडी सीरीज़ रोचकता
को बनाये रखती थी. हम कयास लगते रहते कि अब श्रृंखला
में अगली फिल्म कौन सी होगी.

दूरदर्शन पर एक सीरियल आता था-फटीचर जो अपने समय
और दूरदर्शन के नोर्म्स के हिसाब से कुछ अलग सा था. नाम
तो अलग था ही, इस सीरियल के प्रस्तुतीकरण और कंटेंट पर
दूरदर्शन के फ़िल्टर तो थे ही. ये अपना एक प्रशंसक वर्ग तैयार
करने में कामयाब रहा.

सीरियल में पंकज कपूर ने यादगार अबिनय किया है. अगर
अपने ये सीरियल नहीं देखा हो तो ढूंढ के इसका एक आध
एपिसोड अवश्य देखें. पंकज कपूर को हाईप ब्रांड भोंपू ले के
प्रचार करने वाले नहीं मिले मगर हमारे जैसे अल्पबुद्धि लोग
उनके खामोश प्रशंसकों में हैं.

सुनते हैं एक गीत जो कब पद्य है कब गद्य मालूम ही नहीं
पड़ता. सामान्य बोलचाल में प्रयुक्त शब्द जब गीतकार की
मजबूरी बन जाएँ तो समझ लें उसके शब्दकोष में बहुत सारे
पेज गायब हैं. हमारे भी शब्दकोष में से ढेर पन्ने समय के
साथ गायब हो चले हैं अतः ऐसे गीत हमें बड़े अपने से लगने
लगे हैं.

विशाल शेखर का संगीत है और दिल्ली दिलवालों की से
लोकप्रिय हुए सोनू निगम संग इसे गाया है राजस्थान के एक
छोटे नगर रावतभाटा से मुंबई की मायानगरी में पहुंची और
स्थापित हो चुकीं गायिका श्रेया घोषाल ने.





गीत के बोल:

तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
कहना चाहूँ भी तो तुमसे क्या कहूँ
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ
कहना चाहूँ भी तो तुमसे क्या कहूँ
किसी ज़ुबाँ में भी वो लफ़्ज़ ही नहीं
के जिनमें तुम हो क्या तुम्हें बता सकूँ
मैं अगर कहूँ तुमसा हसीं
कायनात में नहीं है कहीं
तारीफ़ ये भी तो सच है कुछ भी नहीं
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ

शोख़ियों में डूबी ये अदायें
चेहरे से झलकी हुई हैं
ज़ुल्फ़ की घनी घनी घटायें
शान से ढलकी हुई है
लहराता आँचल है जैसे बादल
बाँहों में भरी है जैसे चाँदनी
रूप की चाँदनी
मैं अगर कहूँ ये दिलकशी
है नहीं कहीं न होगी कभी
तारीफ़ ये भी तो सच है कुछ भी नहीं
तुमको पाया है तो जैसे खोया हूँ

तुम हुए मेहरबाँ तो है ये दास्ताँ
आ तुम हुए मेहरबाँ तो है ये दास्ताँ
अब तुम्हारा मेरा एक है कारवाँ
तुम जहाँ मैं वहाँ

मैं अगर कहूँ हमसफ़र मेरी
अप्सरा हो तुम या कोई परी
तारीफ़ ये भी तो सच है कुछ भी नहीं
………………………………………………….
Main agar kahoon-Om Shanti Om 2007

Artists: Shahrukh Khan, Deepika Padukon

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