सुन रसिया-नागिन १९५४
को बनारस की पावन नगरी में जन्मे हेमंत कुमार हिंदी और
बंगाली सिनेमा और संगीत की प्रभावशाली और बड़ी हस्तियों
में से एक हैं. वे भी ऐसी एक शख्सियत हैं जिन्होंने तकनीकी
शिक्षा छोड़ के अपने पैशन को अपनाया. ३० के दशक में ऐसा
होना किसी अचम्भे से कम नहीं है.
ऐसे कम कलाकार हैं जिन्होंने अपने ५० साल इस इंडस्ट्री में
पूरे किये हों. गायन के लिए दो राष्ट्रीय पुरस्कार उन्हें मिले.
उन्होंने दो बार पद्म पुरस्कारों के लिए मना किया, पद्मश्री
और पद्मभूषण. ये अपने देश की कुछ गिनी चुनी शख्सियतों
में से एक हैं जिन्होंने अवार्ड ठुकराया. सरकारी पुरस्कारों पे
सवालिया निशान काफी लगते रहे हैं पहले. पुरस्कार देने की
टाइमिंग भी कई बार समझ नहीं आती. कईयों को बरसों तक
झुलाया गया.
सन १९५४ की फिल्म नागिन का संगीत इतना बजा कि शायद
फिल्मफेयर वालों को भी मजबूरन ये पुरस्कार उन्हें देना पड़ा.
इसके अलावा शायद फिल्मफेयर को उनकी याद नहीं आई.
कुछ समय पहले आपने अवार्ड वापसी के नाम पर कई लोगों का
ड्रामा देखा होगा. इनमें से बहुत से ऐसे हैं जो अवार्ड के हकदार
नहीं हैं और उन्हें वाकई लौटा देना चाहिए था मगर किसी ने भी
लौटाया नहीं.
खैर ये सब छोड़ें, ये सब तो ट्विटर पर डिस्कस करने वाला
मसाला है जिसपे काफी कुछ डिस्कस किया जा चुका है.
सुनते हैं नागिन से एक मधुर गीत राजेंद्र कृष्ण का लिखा हुआ
जिसे लता मंगेशकर ने गाया है.
गीत के बोल:
सुन रसिया सुन रसिया
काहे को जलाये जिया आ जा
सुन रसिया सुन रसिया
काहे को जलाये जिया आ जा
सुन रसिया सुन रसिया
काहे को जलाये जिया आ जा
लिख लिख हारी बलम तोहे पतियाँ
तुम बिन कैसे बिताऊँ कारी रतियाँ
लिख लिख हारी बलम तोहे पतियाँ
तुम बिन कैसे बिताऊँ कारी रतियाँ
कारी कारी रतियाँ ये कारी कारी रतियाँ
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
सुन रसिया सुन रसिया
काहे को जलाये जिया आ जा
कब सच होगा सजन मेरा सपना
पिया तुम आ के कहोगे मुझे अपना
कब सच होगा सजन मेरा सपना
पिया तुम आ के कहोगे मुझे अपना
कब तुम आ के कहोगे मुझे अपना
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
सुन रसिया सुन रसिया
काहे को जलाये जिया आ जा
काहे को जलाये जिया आ जा
काहे को जलाये जिया आ जा
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Sun rasiya-Nagin 1954
Artist: Vaiyanatimala
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