मोरी छम-छम बाजे पायलिया-घूंघट १९६०
की प्रभावशाली अभिनेत्रियों में से एक बीना राय श्वेत श्याम युग
की फिल्मों-अनारकली, घूंघट और रंगीन युग की ताजमहल के
ज़रिये दर्शकों के दिल में अमिट छाप छोड़ गयीं. जिन फिल्मों के
नाम हमने लिए वे ज्यादा चर्चित फ़िल्में हैं, उसके अलावा भी
उन्होंने कई यादगार भूमिकाएं की हैं.
किशोर साहू की फिल्म कलि घटा उनकी पहली हिंदी फिल्म है.
१९६८ की अपना घर अपनी कहानी उनकी अंतिम हिंदी फिल्म
है.
फिल्म घूंघट के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार मिला. आज सुनते
हैं इस फिल्म से एक चर्चित गीत लता मंगेशकर का गाया हुआ.
गीत के बोल:
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
आज मिले हैं मोरे साँवरिया
आज मिले हैं मोरे साँवरिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
बड़ी मुद्दत में दिल के सहारे मिले
आज डूबे हुओं को किनारे मिले
बड़ी मुद्दत में दिल के सहारे मिले
आज डूबे हुओं को किनारे मिले
कभी मुस्क्राए मन कभी शरमाए मन
कभी नैनों की छलके गागरिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
आज मिले हैं मोरे साँवरिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
चाँद तारों के गहने पहना दो मुझे
कोई आ के दुल्हनिया बना दो मुझे
चाँद तारों के गहने पहना दो मुझे
कोई आ के दुल्हनिया बना दो मुझे
नहीं बस में जिया कैसा जादू किया
पिया आज हुई रे मैं तो बावरिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
आज मिले हैं मोरे साँवरिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
मोरी छम-छम बाजे पायलिया
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Mori chham chham baaje payaliya-Ghoonghat 1960
Artist; Beena Rai
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