मेरे दिल की धड़कन-अनहोनी १९५२
सुनेंगे श्वेत श्याम युग से एक गीत. राज कपूर और नर्गिस
की जोड़ी वाली फिल्म अनहोनी से एक गाना शैलेन्द्र का
लिखा हुआ.
लता मंगेशकर और तलत महमूद के गीतों में माधुर्य
कोमलता के साथ मौजूद होता है. गुड़ के ढेले की जगह
गुड़ का महीन चूरा होता है. न विश्वास हो तो सुन के
देख लीजिए.
टेलीफोन का सदुपयोग/दुरूपयोग उस ज़माने में भी होता
था जैसा कि हमने इस गीत के माध्यम से समझा. एक
बात ज़रूर नहीं समझ आई कि उसके साथ का तार क्या
इतना लंबा छूटा हुआ होता था कि उसे ले के कोई भी
घर का चक्कर लगा ले यहाँ तक कि टेलीफोन एक्सचेंज
भी पहुँच जाए. नहीं? कोई समझायेगा मुझे ये क्या हो
रहा है.
जिन लोगों को आर डी बर्मन के गानों के मुखड़ों और
अंतरों के मीटर अनूठे लगते हैं वे इस गाने को ज़रूर
सुनें.
गीत के बोल:
मेरे दिल की धड़कन क्या बोले
क्या बोले
मेरे दिल की धड़कन क्या बोले
क्या बोले
मैं जानूँ और तू जाने
मैं जानूँ और तू जाने
मेरा प्यार भरा मन क्यों डोले
क्यों डोले
मेरा प्यार भरा मन क्यों डोले
क्यों डोले
मैं जानूँ और तू जाने
मैं जानूँ और तू जाने
चली गई रात मदभरी हवाओं के डोले पे हो के सवार
दे गयी चाँद की परी निगाहों को सपनों का पागल ख़ुमार
हमें किसने दिये ये नज़राने
कौन जाने
मैं जानूँ और तू जाने
मैं जानूँ और तू जाने
मेरे दिल की धड़कन क्या बोले
क्या बोले
मैं जानूँ और तू जाने
मैं जानूँ और तू जाने
महकी थी रात की रानी खिले थे गगन में चमेली के फूल
पूछा मैंने कान में तुमसे मुहब्बत है कैसी मज़ेदार भूल
मैं तुमसे लगी क्यों शरमाने
कौन जाने
मैं जानूँ और तू जाने
मैं जानूँ और तू जाने
मेरे दिल की धड़कन क्या बोले
क्या बोले
मैं जानूँ और तू जाने
मैं जानूँ और तू जाने
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Mere dil ki dhadkan kya bole-Anhonee 1952
Artists: Raj Kapoor, Nargis
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