छोटा बच्चा जान के-मासूम १९९६
शहर था तो शायद ज्यादा मायावी लगता था. अब ये
कुछ कुछ रहस्यमयी लगने लगा है. इस माया नगरी
में है बॉलीवुड जो शुरू से ही कई रहस्यों को समेटे है.
गीतकार अमित खन्ना ने ये नाम दिया फिल्म उद्योग
को.
बॉलीवुड के दौरों और चलन पर समय समय पर फ़िल्में
बनती रही हैं. कई तो ऐसी बनी हैं कि समीक्षक के
लेख पढ़ने पर पता चला कि ये बॉलीवुड की कहानी है.
वैसे उन ज्ञानी निर्देशकों को फिल्म के टाइटल्स के साथ
ही बतला देना चाहिए कि मजमून क्या है. कई दर्शक तो
बेचारे कन्फ्यूज हो जाते हैं कि फिल्म है या रंग बिरंगी
डाक्यूमेंट्री. कुछ फ़िल्में तो ऐसी लगती हैं मानो उनमें
२-३ फिल्मों की आत्माएं घुस के तांडव मचा रही हों.
छोड़ें ये सब, और सुनते हैं फिल्म मासूम का गीत. ये
उए समय का गीत है जब इसे गाना वाला भी मासूम था.
आदित्य नारायण जो १९८७ को आज ही के दिन पैदा
हुए.
गीत और संगीत दोनों आनंद राज आनंद के हैं.
गीत के बोल:
छोटा बच्चा जान के ना कोई आँख दिखाना रे
डूबी डूबी डब डब डूबी डूबी डब डब
अकल का कच्चा समझ के हमको ना समझाना रे
डूबी डूबी डब डब डूबी डूबी डब डब
भोली सूरत जान के हमसे ना टकराना रे
डूबी डूबी डब डब डूबी डूबी डब डब
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Chhota bachcha jaan ke-Masoom 1996
Artists: Kids
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