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May 20, 2020

साँसों को साँसों में ढलने दो-हम तुम २००४

सुनते हैं सन २००४ की क्लासिक, क्रिटिकली ऐक्लेडम्ड और
न जाने क्या क्या विशेषणों से सुसज्जित फिल्म हम तुम से
अगला गीत. फिल्म को ढेर सारे पुरस्कार मिल चुके हैं अतः
इसकी शान में ज्यादा कसीदे काढने की ज़रूरत नहीं बची.

इसे इतनी बार देख लिए फिर भी ना जाने क्यूँ ऐसा लगता है
कुछ समझना बाकी है. दिमाग पर ज्यादा जोर देने में सर में
दर्द होने लगता है और इसे समझने का हमारा प्रयास अधूरा
ही रह जाता है.

दरअसल ये अ९८९ की एक अमरीकी फिल्म व्हेन हैरी मेट सैली
पर आधारित है. हम तुम फिल्म है ज़रूर हिंदी भाषा में मगर
आत्मा अटलांटिक महासागर में डुबकियां लगा के आई है अतः
आम भारतीय दर्शक को कुछ अटपटी लगती है. उसके अलावा
इसका कथानक कहीं कहीं रबड़ माफिक खींचा हुआ लगता है.

फिल्म की रिलीज़ के आस पास हम तुम शीर्षक वाले काफ़ी
सारे कार्टून स्ट्रिप रिलीज़ हुए थे वो इस फिल्म से सम्बंधित
सबसे उल्लेखनीय बात है और कुछ नयापन भी था उस समय
के लिहाज से.

किसी समय हमें लगता था कि समझ में नहीं आने वाले या
देर से समझ आने वाले कथानकों पर सिर्फ देव आनंद फिल्म
बनाया करते हैं. हमारा मुगालता नई पीढ़ी के फिल्मकारों की
फ़िल्में देख के दूर हो गया और ऐसे काफ़ी सारे फिल्मकार हैं
जो अभिव्यक्ति के नाम पर अपने अंदर के व्यक्ति को प्रस्तुत
कर देते हैं स्क्रीन पर बेहिचक और बेझिझक.

गीत लिखा है प्रसून जोशी ने और इसकी धुन तैयार की है
जतिन ललित ने. अलका याग्निक और बाबुल सुप्रियो ने गीत
को स्वर दिए हैं.



गीत के बोल:

हम तुम हम तुम हम तुम
साँसों को साँसों में ढलने दो ज़रा
हूँ हूँ हूँ हूँ ला ला ला ला ला ला
साँसों को साँसों में ढलने दो ज़रा
धीमी सी धड़कन को बढ़ने दो ज़रा
लम्हों की गुज़ारिश है ये पास आ जाये
हम हम तुम तुम हम तुम

आँखों में हमको उतरने दो ज़रा
बाहों में हमको पिघलने दो ज़रा
लम्हों की गुज़ारिश है ये पास आ जाये
हम हम तुम तुम हम तुम
साँसों को साँसों में ढलने दो ज़रा

सलवटें कहीं करवटें कहीं
फैल जाये काजल भी तेरा
नज़रों में हो गुज़रता हुआ
ख़्वाबों का कोई क़ाफ़िला
जिस्मों को रूहों को जलने दो ज़रा
शर्मो हया को मचलने दो ज़रा
हाँ लम्हों की गुज़ारिश है ये पास आ जाये
हम हम तुम तुम हम तुम

साँसों को साँसों में ढलने दो ज़रा

छू लो बदन मगर इस तरह
जैसे सुरीला साज़ हो
अँधेरे छुपे तेरी ज़ुल्फ़ में
खोलो के रात आज़ाद हो
आँचल को सीने से ढलने दो ज़रा
शबनम की बूँदें फिसलने दो ज़रा
लम्हों की गुज़ारिश है ये पास आ जाये
हम हम तुम तुम हम तुम
साँसों को साँसों में ढलने दो ज़रा
बाहों में हमको पिघलने दो ज़रा
लम्हों की गुज़ारिश है ये पास आ जाये
हम हम तुम तुम हम तुम
हम हम तुम तुम हम तुम
………………………………………..
Saanson ko saanson mein-Hum tum 2004

Artists: Saif Ali Khan, Rani Mukherji

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Feb 19, 2016

लड़की क्यूँ न जाने-हम तुम २००४

हिंदी सिनेमा में आपको एक मीटर से लगा कर एक किलोमीटर
लंबे गीत मिल जायेंगे. अगर ऐसे गीतों के साथ विवरण भी
चस्पा किया जाए तो दो किलोमीटर लंबी दास्तान हो जायेगी.

प्रस्तुत गीत है गीत और बोलचाल का मिश्रण फिल्म हम तुम
से जो सैफ अली खान और रानी मुखर्जी अभिनीत एक चर्चित
फिल्म थी. प्रसून जोशी के लिखे गीत की तर्ज़ बनायीं है जोड़ी
जतिन ललित ने. धुन चाहे आकर्षक हो या न हो, गीत रोचक
है. नोक झोंक और छेड़ छाड वाले गीत सुनने में ज्यादा आनंद
देते हैं. इसमें नोक झोंक ज्यादा है. गीत जैसे जैसे प्रगति की
और अग्रसर होता है कुछ कुछ रैप गीत जैसा सुनाई देता है और
इसमें रैप के आवश्यक तत्वों -गिम्मी, वाना, गोना, ऊह ऊह,
ये ये जैसे शब्दों में से दो शब्द आये हैं.

गीत गाया है शान उर्फ शांतनु और अलका याग्निक ने.



गीत के बोल:

लड़की क्यूँ न जाने क्यूँ लड़कों सी नहीं होती

सोचती है ज़्यादा  कम वो समझती है
सोचती है ज़्यादा  कम वो समझती है
दिल कुछ कहता है  कुछ और ही करती है
लड़की क्यूँ न जाने क्यूँ लड़कों सी नहीं होती
लड़की क्यूँ न जाने क्यूँ लड़कों सी नहीं होती

सोचती है ज़्यादा  कम वो समझती है
सोचती है ज़्यादा  कम वो समझती है
दिल कुछ कहता है  कुछ और ही करती है
लड़की क्यूँ न जाने क्यूँ लड़कों सी नहीं होती
लड़की क्यूँ न जाने क्यूँ लड़कों सी नहीं होती

प्यार उसे भी है मगर शुरूआत तुम्ही से चाहे
खुद में उलझी-उलझी है पर बालों को सुलझाये

आय मीन यू आर आल द सेम यार
हम अच्छे दोस्त हैं  पर उस नज़र से तुमको देखा नहीं
वो सब तो ठीक है पर उस बारे में मैंने सोचा नहीं

सब से अलग हो तुम ये कह के पास तुम्हारे आये
और कुछ दिन में तुम में अलग सा कुछ भी न उसको भाये

उफ़  ये कैसी शर्ट पहनते हो
ये कैसे बाल कटाते हो
गाड़ी तेज़ चलाते हो
तुम जल्दी में क्यूँ खाते हो
गिम्मी ए ब्रेक

तुम्हें बदलने को पास वो आती है
तुम्हें मिटाने को जाल बिछाती है
बातों-बातों में तुम्हें फंसाती है
पहले हँसाती है
फिर बड़ा रुलाती है
लड़की क्यूँ न जाने क्यूँ लड़कों सी नहीं होती
लड़की क्यूँ न जाने क्यूँ लड़कों सी नहीं होती

ऐ इतना ही खुद से ख़ुश हो तो पीछे क्यूँ आते हो
फूल कभी तो हज़ार तोहफ़े आख़िर क्यूँ लाते हो

अपना नाम नहीं बताया आपने
क़ॉफ़ी पीने चलेंगे
मैं आपको घर छोड़ दूँ
फिर कब मिलेंगे

बिखरा बिखरा बेमतलब सा टूटा फूटा जीना
और कहते हो अलग से हैं हम तान के अपना सीना

भीगा तौलिया कहीं फ़र्श पे
टूथपेस्ट का ढक्कन कहीं
कल के मोज़े उलट के पहने
वक़्त का कुछ भी होश नहीं

जीने का तुमको ढंग सिखलाती है
तुम्हें जानवर से इन्साँ बनाती है
उसके बिना एक पल रह ना सकोगे तुम
उसको पता है ये कह ना सकोगे तुम
इसलिये लड़कियाँ लड़कों सी नहीं होतीं
इसलिये लड़कियाँ लड़कों सी नहीं होतीं
  
जाने कौन-कौन से दिन वो तुमको याद दिलाये
प्यार को चाहें भूल भी जाये  तारीख़ें न भुलाये

फर्स्ट मार्च को नज़र मिलाई
चार अप्रैल को मैं मिलने आई
इक्कीस मई को तुमने छुआ था
छः जून मुझे कुछ हुआ था
  
लड़कों का क्या है किसी भी मोड़ पे वो मुड़ जायें
अभी किसी के हैं अभी किसी और से वो जुड़ जायें

तुम्हारे मम्मी डैडी घर पे नहीं हैं
ग्रेट मैं आ जाऊँ
तुम्हारी फ्रेंड अकेली घर जा रही है
बेचारी मैं छोड़ आऊँ उफ़्
  
एक हाँ कहने को कितना दहलाती है
थक जाते हैं हम वो जी बहलाती है
  
वो शरमाती है  कभी छुपाती है
लड़की जो हाँ कह दे  उसे निभाती है
इसलिये लड़कियाँ लड़कों सी नहीं होतीं
इसलिये लड़कियाँ लड़कों सी नहीं होतीं


ना ना ना ना
इसलिये लड़कियाँ लड़कों सी नहीं होतीं
लड़की क्यों… ओह गॉड
इसलिये लड़कियाँ लड़कों सी नहीं होतीं
ना ना ना ना  ओह गॉड शट अप
आल राईट आल राईट
इस में झगडा करने की क्या बात है यार
पहले पहले भँवरे जैसे आसपास मंडराई
अरे बट आय
फिर बिज़ी हूँ कह कर तुमको वो टरकाई
कम ऑन रिया
समझा करो डार्लिंग आज बहुत काम हैं
अरे मेरी भी तो सुनो
दूर हुआ तो क्या दिल में तुम्हारा नाम है
ओह वाव
जिस चेहरे पर मरते हैं वो बोरिंग हो जाए
आय ऍम नॉट लिसनिंग टू यू
कुछ ही दिन में नज़रें इनकी इधर उधर मंडराई
आय ऍम नॉट लिसनिंग टू यू
सिर्फ प्यार से जिंदगी नहीं चलती
ओ के आय ऍम नॉट विद हर
तुम इंटीरियर डेकोरेशन का कोर्स क्यों नहीं करती
ओ के देट्स इट
………………………………………………………………….
Ladki kyun-Hum tum 2004

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