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Jul 5, 2019

और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं २-सनी १९८४

फिल्म सनी से आशा भोंसले का गाया गीत आपने सुना
जिसे परदे पर शर्मिला टैगोर पर फिल्माया गया है. ४-५
साल पहले आपने ये गीत सुना था. अब सुनवाते हैं इसका
मेल संस्करण जो सुरेश वाडकर का आया हुआ है.

आनंद बक्षी और आर डी बर्मन के कोम्बिनेशन वाले
गीतों में जो कुछ मुझे पसंद है ये गीत उनमें से एक
है. फिल्म में ये गीत दो बार आता है पहली बार आशा
भोंसले की आवाज़ में तो दूसरी बार सुरेश वाडकर की
आवाज़ में. पहला संस्करण फिल्माया गया है शर्मिला
पर और दूसरा संस्करण सनी देवल पर.

ये हम आपको बतला चुके हैं कि इस फिल्म का निर्देशन
राज खोसला ने किया है. इस फिल्म का कथानक थोडा
‘अलग हट के’ है और फिल्म भी ‘अलग हट के’ है इसलिए
चलचित्रगृहों से भी शीघ्र अलग हट गई. इस फिल्म के
कथानक को थोडा चुस्त बनाया जा सकता था.



गीत के बोल:

और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं
लोग मिलते हैं, जुदा होते हैं

कब बिछड़ जाए हमसफ़र ही तो है
कब बदल जाए इक नज़र ही तो है
जान-ओ-दिल जिसपे फ़िदा होते हैं
और क्या अहदे-वफ़ा.....

बात निकली थी इस ज़माने की
जिसको आदत है भूल जाने की
आप क्यों हमसे खफ़ा होते हैं
और क्या अहदे-वफ़ा.....

जब रुला लेते हैं जी भर के हमें
जब सता लेते हैं जी भर के हमें
तब कहीं खुश वो ज़रा होते हैं

और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं
लोग मिलते हैं, जुदा होते हैं
और क्या अहदे-वफ़ा.....
………………………………………….
Aur kya ahde-wafa hote hain 2-Sunny 1984

Artist: Sunny Deol

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Nov 15, 2015

और क्या अहदे-वफ़ा १-सनी १९८४

सन १९८४ की फिल्म है-सनी. इसमें शीर्षक किरदार
निभाया है सनी देवल ने. फिल्म में धर्मेन्द्र भी हैं.
शर्मिला टैगोर, वहीदा रहमान और बेताब की छबि से
बिलकुल उलट दिखाई देने वाली अमृता सिंह भी हैं.

आनंद बक्षी और आर डी बर्मन के कोम्बिनेशन वाले
गीतों में जो कुछ मुझे पसंद है ये गीत उनमें से एक
है. फिल्म में ये गीत दो बार आता है पहली बार आशा
भोंसले की आवाज़ में तो दूसरी बार सुरेश वाडकर की
आवाज़ में. पहला संस्करण फिल्माया गया है शर्मिला
पर और दूसरा संस्करण सनी देवल पर.

गौरतलब है फिल्म का निर्देशन राज खोसला ने किया है.
फिल्म का कथानक ‘अलग हट के’ है और फिल्म भी
‘अलग हट के’ है इसलिए सिनेमा घरों से भी ज़ल्द अलग
हट गयी. राज खोसला ने ६० और सत्तर के दशक में काफी
कामयाब फ़िल्में बनाईं जिनमें से वे रहस्य प्रधान फिल्मों
के लिए जाने गए. इसके अलावा जो उनकी खासियत है वो
ये कि-उनकी फिल्मों में आपको अभिनेत्रियां ज्यादा बेहतर
दिखेंगी अभिनेता के बजाये.

उनके कान संगीत के मामले में बेहद बारीक थे उसकी एक
वजह है-वे खुद एक गायकी में ट्रेंड कलाकार थे. हिंदी सिनेमा
इतिहास की सबसे सफल कुछ म्यूजिकल फ़िल्में उनके नाम
पर दर्ज हैं. आपको याद हो जॉय मुखर्जी, साधना श्वेत श्याम
युग की एक मुसाफिर एक हसीना जिसका एक एक गीत सुपर
हिट था.

फिल्म सनी के भी गीत मधुर हैं और काफी समय तक सुनने
लायक हैं. ये अफसोसजनक है कि फिल्म सफल नहीं हो पाई
धर्मेन्द्र और शर्मिला की मौजूदगी के बावजूद. शायद फिल्म की
कहानी समय से आगे थी या पीछे. लीक से हट कर बनी फ़िल्में
बनाना एक रिस्क जैसा होता है. उन्होंने सन १९८३ में माटी मांगे
खून भी बनाई जो नहीं चली. बतौर निर्देशक सनी उनकी आखरी
फिल्म रही. राज खोसला के बारे में आगे और बातें करेंगे, आज
ये गीत सुनें.



गीत के बोल:

और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं
लोग मिलते हैं, जुदा होते हैं

कब बिछड़ जाए हमसफ़र ही तो है
कब बदल जाए इक नज़र ही तो है
जान-ओ-दिल जिसपे फ़िदा होते हैं
और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं

बात निकली थी इस ज़माने की
जिसको आदत है भूल जाने की
आप क्यों हमसे खफ़ा होते हैं
और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं

जब रुला लेते हैं जी भर के हमें
जब सता लेते हैं जी भर के हमें
तब कहीं खुश वो ज़रा होते हैं

और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं
लोग मिलते हैं, जुदा होते हैं
………………………………………….
Aur kya ahde-wafa hote hain-Sunny 1984

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