और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं २-सनी १९८४
जिसे परदे पर शर्मिला टैगोर पर फिल्माया गया है. ४-५
साल पहले आपने ये गीत सुना था. अब सुनवाते हैं इसका
मेल संस्करण जो सुरेश वाडकर का आया हुआ है.
आनंद बक्षी और आर डी बर्मन के कोम्बिनेशन वाले
गीतों में जो कुछ मुझे पसंद है ये गीत उनमें से एक
है. फिल्म में ये गीत दो बार आता है पहली बार आशा
भोंसले की आवाज़ में तो दूसरी बार सुरेश वाडकर की
आवाज़ में. पहला संस्करण फिल्माया गया है शर्मिला
पर और दूसरा संस्करण सनी देवल पर.
ये हम आपको बतला चुके हैं कि इस फिल्म का निर्देशन
राज खोसला ने किया है. इस फिल्म का कथानक थोडा
‘अलग हट के’ है और फिल्म भी ‘अलग हट के’ है इसलिए
चलचित्रगृहों से भी शीघ्र अलग हट गई. इस फिल्म के
कथानक को थोडा चुस्त बनाया जा सकता था.
गीत के बोल:
और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं
लोग मिलते हैं, जुदा होते हैं
कब बिछड़ जाए हमसफ़र ही तो है
कब बदल जाए इक नज़र ही तो है
जान-ओ-दिल जिसपे फ़िदा होते हैं
और क्या अहदे-वफ़ा.....
बात निकली थी इस ज़माने की
जिसको आदत है भूल जाने की
आप क्यों हमसे खफ़ा होते हैं
और क्या अहदे-वफ़ा.....
जब रुला लेते हैं जी भर के हमें
जब सता लेते हैं जी भर के हमें
तब कहीं खुश वो ज़रा होते हैं
और क्या अहदे-वफ़ा होते हैं
लोग मिलते हैं, जुदा होते हैं
और क्या अहदे-वफ़ा.....
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Aur kya ahde-wafa hote hain 2-Sunny 1984
Artist: Sunny Deol