झनन झनझना के अपनी पायल-आशिक १९६२
संगीतकार शंकर जयकिशन के कैरियर का एक मील का पत्थर
है फ़िल्म आशिक। सुमधुर संगीत के ज़माने का एक गुलदस्ता।
सारे गाने सुपरहिट थे फ़िल्म के। हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित
इस फ़िल्म में राज कपूर और पद्मिनी की मुख्य भूमिकाएं हैं। इस
फ़िल्म में पद्मिनी थोडी दुबली पतली दिखाई देती हैं। जो गीत देखने
में आनंद देते हैं ये उनमे से एक है। नृत्य और मधुर संगीत का अनूठा
संगम। आनंद उठायें इसका। गीत शैलेन्द्र का लिखा हुआ है ।
गाने के बोल:
झनन झनझना के अपनी पायल
चली मैं आज मत पूछो कहाँ
झनन झनझना के अपनी पायल
चली मैं आज मत पूछो कहाँ
छम छम अपनी डगर चलूंगी
छम छम अपनी डगर चलूंगी
कोई भी रोके मैं न रुकूंगी
मैं सावन की चंचल नदिया
बंध के रही न बंध के रहूंगी
झनन झनझना के अपनी पायल
चली मैं आज मत पूछो कहाँ
झनन झनझना के अपनी पायल
चली मैं आज मत पूछो कहाँ
अपनी उमंगों में लहराऊँ
अपनी उमंगों में लहराऊँ
गीत किसी के गाती जाऊं
धरती को बाहों में भर लूँ
झूम के अम्बर पे छा जाऊं
झनन झनझना के अपनी पायल
चली मैं आज मत पूछो कहाँ
झनन झनझना के अपनी पायल
चली मैं आज मत पूछो कहाँ
राह में खो कर मैं अपने को
राह में खो कर मैं अपने को
खोज रही हूँ सुख सपने को
तरस गए हैं नैन हमारे
जिसको पलकों में रखने को
झनन झनझना के अपनी पायल
चली मैं आज मत पूछो कहाँ
झनन झनझना के अपनी पायल
चली मैं आज मत पूछो कहाँ
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Jhanan jhanjhana ke apni payal-Aashiq 1962
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