समय तू जल्दी जल्दी चल-कर्म १९७७
लेते हैं.
कुछ चीज़ें समयबद्ध होती हैं तो कुछ नियमबद्ध. दोनों में अंतर होता है.
वैसे ही इनके विलोम पर बात करें तो समय से परे और नियमों से परे.
समय की बात की जाये तो ये आपको प्रकृति से जोड़ देता है. नियमों की
बात करें तो ये मनुष्य से जोड़ देते हैं . इन सबके अलावा एक बात तो तय
अवश्य है कि समय पर किसी का बस न चला है न चलेगा.
कभी समय की रफ़्तार धीमी लगती है तो कभी तेज. अक्सर खुशनुमा
अहसास होते हैं तो समय तेज़ी से भागता महसूस होता है. अब कोई
समय से दरखास्त करे तेज चलने की तो वो कुछ यूँ अंदाज़ में होगा जैसा
इस गाने में बताया गया है.
विद्या सिन्हा से आज की पीढ़ी वाकिफ नहीं है. बस इतना बता दें एक
कपडे धुलाई के पावडर वाले विज्ञापन में वे दिखाई देती हैं वर्तमान में,
जिसमें एक छोटा बच्चा अपने दादा के जूते पर तबियत से पालिश
करता है. वो दादा भी गुज़रे ज़माने के एक अभिनेता हैं-रमेश देव.
गाने के बोल:
छोटा सा हो अपना घर
न फिक्रें न कोई डर
हर दम ऐसा वक्त रहे
आँखों से न आंसू बहें
धरती पर्वत हिल सकते हैं
अपनी प्रीत अटल,
देखो अपनी प्रीत अटल
पल पल, हो ओ पल पल
समय तू ज़ल्दी ज़ल्दी चल
समय तू ज़ल्दी ज़ल्दी चल
आज का दिन है पल पल भारी
कैसा होगा कल, हाय रे, कैसा होगा कल
पल पल, हो ओ, पल पल
खुद ही अपनी मौत हूँ मैं,
खुद ही अपनी सांस हूँ मैं
ना घर में शहनाई बजी
फिर भी भी मेरी सेज सजी
मैं हूँ ऐसी दुल्हन जिसका बिखर गया काजल,
हाय रे बिखर गया काजल
पल पल, हो ओ पल पल
समय तू ज़ल्दी ज़ल्दी चल
समय तू ज़ल्दी ज़ल्दी चल
अपने हाथों लुट गए हम
मांगी खुशियाँ मिल गए गम
हो, दुनिया कहती ऐसे ही थी
अपना कर्मा ......................
आँखों की औलाद है आंसू
कैसे जाऊं निगल
हाय रे कैसे जाऊं निगल
पल पल, हो ओ पल पल
समय तू ज़ल्दी ज़ल्दी चल
समय तू ज़ल्दी ज़ल्दी चल
.......................................................
Samay to jaldi jaldi chal-Karm 1977
Artists: Rajesh Khanna, Vidya Sinha
1 comments:
समय का ही तो फेर है
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