Nov 3, 2015

जाना था हमसे दूर–अदालत १९५८

जाना था हमसे दूर बहाने बना लिए. गीत का मुखडा सरल सा है
मगर इसे आप एक बार सुन लेंगे तो शायद ही भुला पाएंगे. फुर्सत
में पिरोये गए शब्द और बुनी गयी धुन. राजेंद्र कृष्ण अगर शब्दों
के जादूगर थे तो मदन मोहन सुरों के. दोनों ने मिल कर हमें
इतनी अमर रचनाएँ दी हैं कि धन्यवाद जैसे शब्द थोड़े कम पड़ते
हैं. जो बाकी का अच्छा काम बचा था वो राजा मेहँदी अली खान ने
मदन मोहन के लिए पूरा कर दिया. उन्होंने भी मदन मोहन के लिए
काफी मधुर और संजीदा गीत लिखे.

शब्द कब कैसे और कहाँ फिट होने से मधुर सुनाई देते हैं इसका
अंदाजा लगाना कठिन है. गीतकार भी गीत रचते समय शायद इस
बात पर ज्यादा गौर नहीं करता मगर धुन बनने के बाद थोडा यकीन
होने लगता है कि गाना हिट होगा. ऐसा सभी गीतों के साथ नहीं हो
पाता है. “आना’ शब्द वाले गीत आपने शायद उतने नहीं सुने होंगे
जितने ‘जाना’ शब्द वाले. जाना शब्द में दर्द छुपा होता है
शायद इसलिए वे ज्यादा दिल को छू जाते हैं.

उदाहरण पेश है-

१) तेरा जाना दिल के अरमानों का लुट जाना-लता-अनाड़ी
२) तुम रूठ के मत जाना-रफ़ी, आशा-फागुन
३) चला जाना नहीं नैन मिला के-लता-बड़ी बहन
४) ओ दूर जाने वाले-प्यार की मंजिल-सुरैया
५) तुम मुझसे दूर चले जाना ना-लता-इश्क पर जोर नहीं
६) साथिया नहीं जाना के जी न लगे-लता, रफ़ी-आये दिन बहार के
७) परदेस जा के परदेसिय भूल न जाना-लता-अर्पण
८) पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना-रफ़ी-शीर्षक
९) मुझे भूल जाना अगर हो सके-रफ़ी-तकदीर
१०) नहीं नहीं जाना नहीं-लता-पत्थर दिल
११) ओ जाने वाले मुड़के ज़रा देखते जाना-लता-श्री ४२०
१२) हम कितने नादान थे यारों आज ये समझा आज ये जाना-
किशोर-सितमगर

गीतकार इस प्रकार से हैं

गीत क्रमांक १ शैलेन्द्र का लिखा हुआ है, गीत नम्बर २ है
कमर जलालाबादी का, गीत नम्बर ३ है राजेंद्र कृष्ण का, गीत
नम्बर ४ भी राजेंद्र कृष्ण का, गीत नम्बर ५ आनंद बक्षी का,
गीत नम्बर ६ आनंद बक्षी का, गीत नम्बर ७ आनंद बक्षी का ,
गीत नम्बर ८ मजरूह सुल्तानपुरी का, गीत नम्बर ९ है फिर से
आनंद बक्षी का, गीत नम्बर १० है वर्मा मालिक का, गीत नम्बर
११ है हसरत जयपुरी का, गीत नम्बर १२ है मजरूह सुल्तानपुरी
का.

और भी ऐसे गीत हैं जिनके मुखड़े में ये शब्द आता है. ऊपर
जिन गीतकारों के नाम आये हैं और जो गीत हैं वो एक से बढ़
कर एक गीत हैं. शब्दों का चयन हर गीतकार का अलग अलग
होता है. शब्द फिट करने का तरीका भी अलग अलग.


अब उसी बात को पोसिटिव वे में लेते हैं-

१) आज मुझे सजन घर जाना-खुर्शीद-मझधार
२) बता दूं क्या लाना तुम लौट के आ जाना-लता-
पत्थर के सनम
३)मैं जट जमला पगला दीवाना इत्ती सी बात
न जाना-रफ़ी-प्रतिज्ञा
४)जाना है हमें तो जहाँ करार मिले-लता, किशोर-पांच दुश्मन


तीसरी बानगी-इसमें जाना शब्द प्रेमिका या जाने-जिगर
लखते-जिगर वगैरह के लिए प्रयुक्त हुआ है मगर ये
गीत भी लोकप्रिय हैं.

१) जाना तुम्हारे प्यार में क्या क्या–मुकेश-ससुराल
२) सुनो जाना सुनो जाना-किशोर-हम सब उस्ताद हैं
३) बहुत दूर मुझे चले जाना है-लता, किशोर-हीरा पन्ना

ऊपर वाला गीत नम्बर ३ साहिर का लिखा हुआ है और काफी
कोम्प्लेक्स सा सुनाई देता है. हालाँकि ये है युगल गीत मगर
इसकी धुन भी एब्सट्रैक्ट किस्म की है. कुल मिला के जो भी
लुब्बे-लुबाब तैयार हुआ है वो कर्णप्रिय है. यही पंचम के संगीत
की विशेषता है.

चौथी किस्म है जिसमें “जाना’ शब्द दूसरी क्रिया के
लिए प्रयुक्त होता है-रुक मत जाना, थक मत जाना
इत्यादि.

१) रात के राही थक मत जाना-बाबला-लता/मन्ना डे
२) रुक जाना नहीं तू कहीं हार के-किशोर-इम्तिहान
३) जीना यहाँ मरना यहाँ इसके सिवा जाना कहाँ-
मुकेश-मेरा नाम जोकर
४) आना जाना लगा रहेगा-बप्पी लहरी,
मोहम्मद अज़ीज़-गिरफ्तार

ये फिलोसोफिकल गीत जिन गीतकारों ने लिखे हैं उनके नाम
हैं-

१)साहिर लुधियानवी
२) मजरूह सुल्तानपुरी
३) नीरज
४) इन्दीवर


पांचवी किस्म है कॉमेडी.

१) सर फोड फोड मर जाना-श्याम सुन्दर, गीता दत्त-दिल की रानी
२) धीरे से जाना खटियन में ओ खटमल-किशोर-छुपा रुस्तम


आइये सुना जाए फ़िल्म अदालत से ये प्रसिद्ध गीत जिसे कोकिला
लता मंगेशकर ने गाया है. आप सोच रहे होंगे कि आज ये लंबी पोस्ट
किसलिए. तो जनाब आज ही थोड़े से बादाम पिस्ते खाने को मिले
लंबे अरसे बाद. निहाल हो गए. कल मिले न मिलें पता नहीं इसलिए
इस खुशी को आज ही मन लो, पूरी बारूद खर्च कर लो. बादाम से
दिमाग की लालटेन जल उठती है.




गीत के बोल:


जाना था हमसे दूर, बहाने बना लिये
अब तुमने कितनी दूर, ठिकाने बना लिये
जाना था हमसे दूर

रुख्सत के वक्त तुमने जो आँसू हमे दिये
उन आसूओं से हमने फसाने बना लिये
अब तुमने कितनी दूर, ठिकाने बना लिये
जाना था हमसे दूर

दिल को मिले जो दाग, जिगर को मिले जो दर्द
उन दौलतों से हमने, खजाने बना लिये
अब तुमने कितनी दूर, ठिकाने बना लिये
जाना था हमसे दूर

जाना था हमसे दूर, बहाने बना लिये
अब तुमने कितनी दूर, ठिकाने बना लिये
जाना था हमसे दूर
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Jaana tha hamse door-Adalat 1958

Artist-Nargis

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