संसार की हर शय का-धुंध १९७३
प्रकृति के किसी भी पहलू से जीवन का पैरेलल ड्रा किया जा
सकता है बस ज़रूरत है तो बारीकियों को समझने की.
महेंद्र कपूर का गाया धुंध फिल्म का ये गीत लोकप्रिय रहा है
अपने समय मे. बोल और धुन दोनों लाजवाब हैं इस गीत की.
संगीतकार रवि ने धुन तैयार किया है साहिर के बोलों के लिए.
फिल्म में इसका प्रयोग बैकग्राउंड स्कोर के रूप में किया गया
है मानो कोई सन्देश दिया जा रहा हो.
गीत के बोल:
संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है
एक धुँध से आना है एक धुँध में जाना है
ये राह कहाँ से है ये राह कहाँ तक है
ये राज़ कोई राही समझा है न जाना है
संसार की हर……
एक पल की पलक पर है ठहरी हुई ये दुनिया
एक पल के झपकने तक हर खेल सुहाना है
संसार की हर……
क्या जाने कोई किस पल किस मोड़ पे क्या बीते
इस राह में ऐ राही हर मोड़ बहाना है
संसार की हर……
हम लोग खिलौने हैं एक ऐसे खिलाड़ी के
जिसको अभी सदियों तक ये खेल रचाना है
संसार की हर……
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Sansar ki har shay ka-Dhundh 1973
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