वक़्त ने किया क्या हंसीं सितम-कागज़ के फूल १९५९
जिक्र होता है इन शब्दों का जिक्र अवश्य होता है-सेल्यूलोइड,
लाईट इफेक्ट, वहीदा रहमान और गुरु दत्त की केमिस्ट्री, बढ़िया
बोल और उम्दा संगीत. ये हमने सार में आपको इस गीत के
बारे में बतलाया. नेट पर सर्च करके विस्तार से पढ़ लीजिए.
कैफी आज़मी इसके गीतकार हैं और एस डी बर्मन संगीतकार.
गीता दत्त ने इसे गाया है.
गीत के बोल:
वक़्त ने किया क्या हंसीं सितम
तुम रहे न तुम हम रहे न हम
वक़्त ने किया
बेक़रार दिल इस तरह मिले
जिस तरह कभी हम जुदा न थे
तुम भी खो गए हम भी खो गए
एक राह पर चल के दो क़दम
वक़्त ने किया
जायेंगे कहाँ सूझता नहीं
चल पड़े मगर रास्ता नहीं
क्या तलाश है कुछ पता नहीं
बुन रहे हैं दिल ख़्वाब दम-ब-दम
वक़्त ने किया क्या हंसीं सितम
तुम रहे न तुम हम रहे न हम
वक़्त ने किया
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Waqt ne kiya kya haseen sitam-kagaz ke phool 1959
Artists: Guru Dutt, Waheeda Rehman
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