Mar 23, 2009

दर्शन दो घनश्याम -नरसी भगत १९५७

फिल्म नरसी भगत से एक मधुर भजन प्रस्तुत है।
कहते हैं सच्चे मन की पुकार को परमात्मा जरूर
सुनता है। इस गीत का संगीत तैयार किया है रवि ने
जो हेमंत कुमार के सहायक रहे हैं। शाहू मोड़क और
निरूपा रॉय इस फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं। भजन
गाया है सुधा मल्होत्रा, मन्ना डे और हेमंत कुमार ने।
दुर्लभ संयोग है गायकों का। सुधा मल्होत्रा और हेमंत
कुमार के युगल गीत भी शायद १-२ ही हैं।




गीत के बोल:

दरशन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे
मन मंदिर की ज्योति जगा दो, घट घट बासी रे

मंदिर मंदिर मूरत तेरी
फिर भी ना दीखे सूरत तेरी
युग बीते ना आई मिलन की
पूरणमासी रे

द्वार दया का जब तू खोले
पंचम सुर में गूंगा बोले
अंधा देखे लंगड़ा चल कर
पहुँचे कासी रे

पानी पी कर प्यास बुझाऊँ
नैनों को कैसे समझाऊँ
आँख मिचौली छोड़ो अब
मन के बासी रे

निर्बल के बल धन निर्धन के
तुम रखवाले भक्त जनों के
तेरे भजन में सब सुख पाऊँ
मिटे उदासी रे

नाम जपे पर तुझे ना जाने
उनको भी तू अपना माने
तेरी दया का अंत नहीं है
हे दुख नाशी रे

आज फैसला तेरे द्वार पर
मेरी जीत है तेरी हार पर
हार जीत है तेरी मैं तो
चरण उपासी रे

द्वार खड़ा कब से मतवाला
मांगे तुम से हार तुम्हारी
नरसी की ये बिनती सुनलो
भक्त विलासी रे

लाज ना लुट जाये प्रभु तेरी
नाथ करो ना दया में देरी
तीन लोक छोड़ कर आओ
गंगा निवासी रे
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Darshan do ghanshyam nath mori-Narsi Bhagat 1957

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