धानी चुनरी पहन-हरे कांच की चूड़ियाँ १९६७
ज़रूर कोई सम्बन्ध है। इस नायिका को इसके बाद किसी और
फ़िल्म में नहीं देखा मैंने। एक फ़िल्म में इनका नाम जरूर आया
वो है १९७० की फ़िल्म पुष्पांजलि जो की मैंने आधी अधूरी सी
देखी है ।
इस गीत के बारे में मुझे फ़िल्म देखने के पहले तक इतना मालूम
था कि ये आशा भोंसले ने गाया है, इसको लिखा शैलेन्द्र ने, और
इसके संगीतकार शंकर जयकिशन हैं। फ़िल्म के बारे में बाकी की
जानकारी फ़िल्म देखने के बाद ही हुई। गीत याद कराने के लिए
विविध भारती और आकाशवाणी को धन्यवाद। हरे कांच की चूड़ियाँ
किशोर साहू की फ़िल्म है। इसमे उन्होंने लेखन भी किया है।
फ़िल्म में भानु अथैया ने अपनी सेवाएँ दी हैं । ये वही शख्सियत
हैं जिनको फ़िल्म 'गाँधी' के कोस्ट्युम डिज़ायनिंग के लिए ऑस्क्रर
पुरस्कार मिला है। उम्मीद है इस गाने के लिए नायिका की वेशभूषा
उन्होंने ही तैयार की होगी।
गीत के बोल:
धानी चुनरी पहन
धानी चुनरी पहन, सज के बन के दुल्हन
जाऊँगी उनके घर, मन में उनकी लगन
आयेंगे जब सजन
आयेंगे जब सजन,जीतने मेरा मन
कुछ न बोलूँगी मैं, मुख न खोलूँगी मैं
बज उठेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
ये कहेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
छूटे माता पिता
छूटे माता पिता, छूटे वो बालापन
खेली मैं जिनके संग, पूरे सोलह सावन
देके तन और मन
देके तन और मन, मैं मनाऊँ सजन,
तेरी बाहों में हो, मेरा जीवन मरण
ये कहेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
वादा लेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
दो सलोने वचन
दो सलोने वचन, तुमको मेरी क़सम
ये क़सम प्यार की, ये रसम प्यार की
अब निभाना सजन
अब निभाना सजन, मत भुलाना सजन
जाओ परदेस तो, जल्दी आना सजन
वादा लेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
फ़िर कहेंगी हरे,काँच की चूड़ियाँ
बज उठेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
काँच की चूड़ियाँ
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Dhani chunri pahan-Hare kaanch ki chooriyan 1967
Artists: Naina Sahu, Biswajeet
3 comments:
दो दो हीरोईन वाला गाना !!
हो
ये इशारा नायक की तरफ है या नायिका दो के बराबर है ?
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