ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ १ -जाल १९५२
ऐसे गीत सिर्फ पचास के दशक में ही आये। ६० के दशक में
देव आनंद को रफ़ी की आवाज़ वाले गीत मिले। उसके बाद
किशोर या रफ़ी की आवाज़ वाले गीतों पर ही वे परदे पर
होंठ हिलाते मिले। गीत में गीता बाली नाम की नायिका
दिखाई देती हैं। बोल साहिर के हैं और धुन बड़े बर्मन साहब की ।
समय के हिसाब से देव आनंद बढ़िया डिजाईन का स्वेटर पहने हुए
हैं।
गीत के बोल:
आ, हा हा हा हा हा हा हा हा
ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
हे,पेड़ों की शाखों पे
पेड़ों की शाखों पे सोई सोई चाँदनी
पेड़ों की शाखों पे
तेरे खयालों में खोई खोई चाँदनी
और थोड़ी देर में थक के लौट जाएगी
रात ये बहार की, फिर कभी न आएगी
दो एक पल और है ये समा,
सुन जा दिल की दास्ताँ
हे, लहरों के होंठों पे
लहरों के होंठों पे धीमा धीमा राग है
लहरों के होंठों पे
भीगी हवाओं में ठंडी ठंडी आग है
इस हसीन आग में तू भी जल के देख ले
ज़िंदगी के गीत की धुन बदल के देख ले
खुलने दे अब धड़कनों की ज़ुबाँ,
सुन जा दिल की दास्ताँ
हे, जाती बहारें हैं
जाती बहारें हैं उठती जवानियाँ
जाती बहारें हैं
तारों के छाँव में पहले कहानियाँ
एक बार चल दिये गर तुझे पुकार के
लौटकर न आएंगे क़ाफ़िले बहार के
एक बार चल दिये गर तुझे पुकार के
लौटकर न आएंगे क़ाफ़िले बहार के
आ जा अभी ज़िंदगी है जवाँ,
सुन जा दिल की दास्ताँ
ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
दास्ताँ......, दास्ताँ.....
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Ye raat ye chandni phir kahan 1-Jaal 1952
Artist: Dev Anand
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