जब दर्द नहीं था-अनुरोध १९७७
है, किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होकर। उसका ऑपरेशन होने
वाला है और उसी समय हीरो का स्टेज शो है। इस वजह से हीरो
दर्द भरा गीत गा रहा है ।
गीत लिखा है आनंद बक्षी ने और धुन बनाई है लक्ष्मी प्यारे ने।
हीरो हैं राजेश खन्ना और उनके मित्र की भूमिका में नायक हैं
विनोद मेहरा । गाना अनुरोध फ़िल्म का है जो १९७७ में आई
थी।
गीत की लोकप्रियता के बारे में थोड़ी चर्चा की जाए. ये गीत फिल्म
रिलीज़ के वक्त बहुत ही कम सुना गया. इसे किशोर भक्त ज्यादा
सुना करते हैं. कम प्रचलित गीत है मगर इसके बोल बढ़िया हैं.
धुन थोड़ी बेहतर बनाई जाती तो ये लोकप्रिय होता. कभी कभी
फिल्म के सारे गानों के साथ न्याय कर पाना संगीतकार के बस
में नहीं होता है.
गाने के बोल:
न हँसना मेरे गम पे इन्साफ करना
जो मैं रो पडूं तो मुझे माफ़ करना
जब दर्द नहीं था सीने में
क्या ख़ाक मज़ा था जीने में
अब के शायद हम भी रोएँ ,सावन के महीने में
जब दर्द नहीं था सीने में .........
यारों का गम क्या होता है
मालूम न था अनजानों को
साहिल पे खड़े होकर अक्सर
देखा हमने तूफानों को
अब के शायद हम भी डूबें
मौजों के सफीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
क्या ख़ाक मज़ा था जीने में
ऐसे तो ठेस न लगती थी
जब अपने रूठा करते थे
इतना तो दर्द न होता था
जब सपने टूटा करते थे
अब के शायद दिल भी टूटे
अब के शायद हम भी रोएँ सावन के महीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
क्या ख़ाक मज़ा था जीने में
इस कदर प्यार तो कोई करता नहीं
मरने वालों के साथ कोई मरता नहीं
आपके सामने मैं न फिर आऊंगा
गीत ही जब न होंगे तो क्या गाऊँगा
मेरी आवाज़ प्यारी है तो दोस्तों
यार बच जाए मेरा, दुआ सब करो
दुआ सब करो
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Jab dard nahin tha-Anurodh 1977
Artists: Rajesh Khanna, Vinod Mehra
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