अंधेरे में जो बैठे हैं-सम्बन्ध १९६९
इस फ़िल्म में महेंद्र कपूर के बहुत से गीत हैं। सम्बन्ध फ़िल्म के
सबसे ज्यादा बजने वाले गीतों में हैं :- 'चल अकेला-मुकेश',
'जो दिया था तुमने एक दिन-महेंद्र कपूर' और ये गीत गिना
जा सकता है। ओ पी नय्यर ने अपने संगीत जीवन के उत्तरार्ध में
कपूर से कई गीत गवाए। इसका फ़ायदा कपूर को भी हुआ । वे
प्रमुख गायकों की कतार में आ गए। वैसे फ़िल्म संगीत में जब जब
ऊंची पट्टी पर खुल के गाने की ज़रूरत होती उनको याद किया
जाता रहा। उनके गाये गीतों में युगल गीतों की संख्या काफ़ी ज्यादा है।
ये निर्विवाद रूप से एक गंभीर किस्म का कर्णप्रिय गीत है।
गीत के बोल:
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
जिधर भी देखूं मैं
अन्धकार, अन्धकार
अंधेरे में जो बैठे हैं, नज़र उन पर भी कुछ डालो
अंधेरे में जो बैठे हैं, नज़र उन पर भी कुछ डालो
अरे ओ रोशनी वालों
बुरे इतने नहीं हैं हम, ज़रा देखो हमें भालो
अरे ओ रोशनी वालों
कफ़न से ढांक कर बैठे हैं, हम सपनों की लाशों को
जो किस्मत ने दिखाए, देखते हैं उन तमाशों को
कफ़न से ढांक कर बैठे हैं, हम सपनों की लाशों को
जो किस्मत ने दिखाए, देखते हैं उन तमाशों को
हमें नफ़रत से मत देखो, ज़रा हम पर रहम खा लो
अरे ओ रोशनी वालों
अंधेरे में जो बैठे हैं, नज़र उन पर भी कुछ डालो
अरे ओ रोशनी वालों
हमारे भी थे कुछ साथी, हमारे भी थे कुछ सपने
हमारे भी थे कुछ साथी, हमारे भी थे कुछ सपने
सभी वो राह में छूटे, वो सब रूठे जो थे अपने
सभी वो राह में छूटे, वो सब रूठे जो थे अपने
जो रोते हैं कई दिन से, ज़रा उनको भी समझा लो
अरे ओ रोशनी वालों
अंधेरे में जो बैठे हैं, नज़र उन पर भी कुछ डालो
अरे ओ रोशनी वालों
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Andhere mein jo baithe hain-Sambandh 1969
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