Apr 23, 2009

सच हुए सपने मेरे- काला बाज़ार १९६०

सचिन देव बर्मन से लता मंगेशकर के मन मुटाव का सबसे ज्यादा
फ़ायदा हुआ आशा भोंसले को, और उनके खाते में बर्मन की कई अच्छी
धुनें आ गिरीं। ये सिलसिला १९५८ से १९६२ तक ही चला। फ़िल्म बंदिनी
से लता मंगेशकर पुनः बर्मन खेमे में गाने लगीं।

ये गीत शैलेन्द्र ने लिखा है। समुद्र की लहरें देख के हिरोइन नटखट
सी हो गई है और नैन मटका के उछल कूद कर के ये गीत गा रही है,
मानो उसके चौपाटी घूमने के सपने सच हो गए हों। इसके उलट हमारा
हीरो ऐसे बैठा हो जैसे बासी भेल खा के उसका हाजमा ख़राब हो गया हो ।



गीत के बोल:

सच हुए सपने तेरे, झूम ले ओ मन मेरे
सच हुए सपने तेरे, झूम ले ओ मन मेरे
चिकी चिकी चिक चक चा छै
चिकी चिकी चिक चक चा छै
चिकी चिकी चिक चक

सच हुए सपने तेरे

बेकल मन का, धीरज लेकर, मेरे साजन आये
बेकल मन का, धीरज लेकर, मेरे साजन आये
जैसे कोई, सुबह का भूला, साँझ को घर आ जाये
प्रीत ने रँग बिखेरे, झूम ले ओ मन मेरे
चिकी चिकी चिक चक चा छै
चिकी चिकी चिक चक चा छै
चिकी चिकी चिक चक

सच हुए सपने तेरे

मन की पायल छम छम बोले, हर एक साँस तराना
धीरे धीरे सीख लिया, अखियों ने मुसकाना
हो गये दूर अंधेरे, झूम ले ओ मन मेरे
चिकी चिकी चिक चक चा छै
चिकी चिकी चिक चक चा छै
चिकी चिकी चिक चक

सच हुए सपने तेरे

जिस उलझन ने दिल उलझा के सारी रात जगाया
जिस उलझन ने दिल उलझा के सारी रात जगाया
बनी है वो आज, प्रीत की माला, मन का मीत मिलाया
जगमग साँझ सवेरे, झूम ले ओ मन मेरे
चिकी चिकी चिक चक चा छै
चिकी चिकी चिक चक चा छै
चिकी चिकी चिक चक
.......................................................
Sach hue sapne mere-Kaala Bazaar 1960

Artists: Waheeda Rehman, Dev Anand

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