बागों में बहार आई-मोम की गुडिया १९७३
ख़ुद कुछ गीत भी गाये हैं फिल्मों में। पंजाबी अंदाज़ में उनका
गायन ध्यानाकर्षण के लिए काफ़ी है। उनका उच्चारण
भी साफ़ है चूँकि वे एक गीतकार हैं। ये उनका लता मंगेशकर के
साथ गाया युगल गीत है जो फ़िल्म 'मोम की गुडिया' के लिए बना
जिसको लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने धुन से बाँधा। गाना शुरू होने
पर ऐसा भ्रम होता है कि मुकेश की आवाज़ है। उनकी आवाज़ में
हलकी सी खनक है जो अधिकतर पंजाबी गायकों की आवाज़ में मिलेगी
आपको, जिसका चरम आप जगजीत सिंह की आवाज़ में पाएंगे ।
गाने के बोल -
ओ ओ, ओ ओ
हो ओ , हो ओ
बागों में बहार आई
होठों पे पुकार आई
आ जा आ जा आ जा
आ जा मेरी रानी
रुत बेकरार आई
रुत बेकरार आई
डोली में सवार आई
आ जा आ जा आ जा
आ जा मेरे राजा
बागों में बहार आई
होठों पे पुकार आई
आ जा आ जा आ जा
आ जा मेरी रानी
फूलों की गली में आईं
भंवरों की टोलियाँ
भंवरों की टोलियाँ
दिए से पतंगा खेले आँखमिचोलियाँ
बोले ऐसी बोलियाँ के प्यार जागा
जग सो गया
रुत बेकरार आई
डोली में सवार आई
आ जा आ जा आ जा
आ जा मेरे राजा
बागों में बहार आई
सपना तो सपनों की
बात है प्यार में
बात है प्यार में
नींद नहीं आती सैयां
तेरे इंतज़ार में
होके बेकरार तुझे ढूंढूं मैं
तू कहाँ खो गया
बागों में बहार आई
होठों पे पुकार आई
आ जा आ जा आ जा
आ जा मेरी रानी
आ जा मेरे राजा
लम्बी लम्बी बातें छेड़ें
छोटी सी रात में
छोटी सी रात में
सारी बातें कैसे होंगी
इक मुलाक़ात में
एक ही बात में लो देख लो
सवेरा हो गया
बाघों में बहार आई
होठों पे पुकार आई
आ जा आ जा आ जा
आ जा मेरी रानी
रुत बेकरार आई
डोली में सवार आई
आ जा आ जा आ जा
आ जा मेरे राजा
आ जा मेरी रानी
आ जा मेरे राजा
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Bagon mein bahar aayi-Mome ki gudiya 1973
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