आवाज़ दी है-एतबार १९८५
गुलाम अली की ग़ज़लें सुनी हैं। उन्होंने फ़िल्म निकाह में एक गीत भी
लिखा था 'दिल के अरमान आंसुओं में बह गए' जिसे सलमा आगा ने
गाया है। गौतलब है की गुलाम अली की जो ग़ज़ल फ़िल्म निकाह में
इस्तेमाल की गई थी वो हसरत मोहानी की लिखी हुई है। फ़िल्म निकाह
को फ़िल्म संगीत में गजलों को पुनः स्थापित करने का श्रेय जाता है और
संगीतकार रवि इस प्रयास के लिए बधाई के पात्र हैं। ७० के दशक में ग़ज़लें
धीरे धीरे फिल्मों से गायब सी होने लगी थी।
हम कुछ ज्यादा ही टॉपिक से भटक गए हैं शायद। गीत की ओर वापस
चला जाए। फ़िल्म एतबार में सुरेश ओबेरॉय ने ग़ज़ल गायक की भूमिका
निभाई है। उनके हिस्से में दो ग़ज़लें आई हैं जिनको स्वर दिया है भूपेंद्र ने।
साथ में जनाना आवाज़ है आशा भोंसले की। एक ग़ज़ल का जिक्र शायद हम
पहले कर चुके हैं, अगर नहीं ! तो आगे अवश्य करेंगे. फिलहाल इसका
आनंद उठायें। संगीत है बंगाल के जादूगर बप्पी लहरी का। आशा भोंसले
उच्चारण दोष से इस गीत में भी मुक्त नहीं हुई हैं। वो एक जगह "खोई" को
"कोई" गा रही हैं।
गीत के बोल:
भूपेंद्र : आवाज़ दी है आज इक नज़र ने, या है ये दिल को गुमाँ
दोहरा रहीं हैं जैसे फ़ज़ायें, भूली हुई दास्ताँ
आवाज़ दी है आज इक नज़र ने, या है ये दिल को गुमाँ
दोहरा रहीं हैं जैसे फ़ज़ायें, भूली हुई दास्ताँ
आशा : लौट आयी हैं फिर रूठी बहारें, कितना हसीन है समा
दुनिया से कह दो न हम को पुकारे, हम खो गये हैं यहाँ
लौट आयी हैं फिर रूठी बहारें, कितना हसीन है समा
दुनिया से कह दो न हम को पुकारे, हम खो गये हैं यहाँ
भूपेंद्र: जीवन में कितनी वीरानियाँ थी, छायी थी कैसी उदासी
सुनकर किसी के कदमों की आहट, हलचल हुई है ज़रा सी
भूपेंद्र: जीवन में कितनी वीरानियाँ थी, छायी थी कैसी उदासी
सुनकर किसी के कदमों की आहट, हलचल हुई है ज़रा सी
सागर में जैसे लहरें उठीं हैं, टूटी हैं खामोशियाँ
दोहरा रहीं हैं जैसे फ़ज़ायें, भूली हुई दास्ताँ
आशा : तूफ़ान में खोई कश्ती को आखिर, मिल ही गया फिर किनारा
हम छोड़ आये ख्वाबों की दुनिया, दिल ने तेरे जब पुकारा
तूफ़ान में खोई कश्ती को आखिर, मिल ही गया फिर किनारा
हम छोड़ आये ख्वाबों की दुनिया, दिल ने तेरे जब पुकारा
कबसे खड़ी थी बाहें पसारे, इस दिल की तन्हाइयाँ
दुनिया से कह दो न हम को पुकारे, हम खो गये हैं यहाँ
भूपेंद्र: अब याद आया कितना अधूरा, अब तक था दिल का फ़साना
आशा: यूँ पास आ के दिल में समा के, दामन न हमसे छुड़ाना
भूपेंद्र: अब याद आया कितना अधूरा, अब तक था दिल का फ़साना
आशा:यूँ पास आ के दिल में समा के, दामन न हमसे छुड़ाना
आशा: जिन रास्तों पर तेरे कदम हों, मंजिल है मेरी वहाँ
दुनिया से कह दो न हम को पुकारे, हम खो गये हैं यहाँ
लौट आयी हैं फिर रूठी बहारें, कितना हसीन है समाँ
दुनिया से कह दो न हम को पुकारे, हम खो गये हैं यहाँ
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Awaaz di hai-Aitbaar 1985
Artists: Raj Babbar, Suresh Oberoi, Dimple Kapadia
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