कोई हमदम ना रहा-झुमरू १९६१
ये गीत अशोक कुमार ने फ़िल्म जीवन नैया में गाया था।
वो गीत तो शायद सुनने को न मिले, किशोर कुमार वाला
सुनते हैं जो बहुत लोकप्रिय हुआ। फ़िल्म झुमरू का ये गीत
एक दर्द भरा गीत है जिसे मजरूह ने लिखा है और संगीत
स्वयं किशोर कुमार का है। झुमरू फ़िल्म के गीत लोकप्रिय हुए
जिसमे सबसे ज्यादा बजने वाला गीत यही है जो आपको किसी भी
रेडियो चैनल पर सुनने को मिल जाएगा।
गाने के बोल:
कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे, कोई हमारा न रहा
कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा न रहा
शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे
शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे
जो मुझे राह दिखाए वही तारा न रहा
कोई हमदम ना रहा ...
ऐ नज़ारों ना हँसो मिल ना सकूँगा तुमसे
ऐ नज़ारों ना हँसो मिल ना सकूँगा तुमसे
तुम मेरे हो ना सके मैं तुम्हारा ना रहा
कोई हमदम ना रहा ...
क्या बताऊँ मैं कहाँ यूँ ही चला जाता हूँ
क्या बताऊँ मैं कहाँ यूँ ही चला जाता हूँ
जो मुझे फिर से बुलाए वो इशारा ना रहा
कोई हमदम ना रहा ...
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