करुँ क्या आस निरास भई-दुश्मन १९३९
सर्वदा से संगीत प्रेमियों और रसिकों के लिए उनके गाये गीत
अनमोल खजाना हैं। इधर यू-ट्यूब एक ऑडियो क्लिप है केवल ।
ज़बरदस्त हिट गाना है ये। आज भी मानो लगता है अभी अभी
गाया गया है। ऐसे ही गाने अमर गीतों के श्रेणी में आते हैं।
आरजू लखनवी के बोलों को सुरों में पिरोया है पंकज मलिक ने .
गाना निराशा के भाव से आशा की ओर बढ़ता है जो कि गानों
में बहुत कम देखने में आया है।
गाने के बोल:
करुँ क्या आस निरास भई
करुँ क्या आस निरास भई
दिया बुझे फिर से जल जाए
रात अँधेरी जाए दिन आए
मिटती आस है जो सखियन की
समझो गई तो गई
करुँ क्या ...............
जब न किसीने राह सुझाई
दिल से एक आवाज़ ये आई
हिम्मत बाँध संभल बढ़ आगे
रोक नहीं है कोई
कहो न आस निरास भई
कहो न आस निरास भई
करना होगा खून का पानी
देना होगी हर कुर्बानी
हिम्मत है इतनी तो समझ ले
आस बनेगी नई, आस बंधेगी नई
कहो न आस निरास भई ,
कहो न आस निरास भई,
कहो न आस ...................
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Karoon kya aas niras bhayi-Dushman 1939
Artist: KL Saigal
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