८० के दशक के कुछ कर्णप्रिय नगमे -तू भी बेकरार १९८८
हीरो/हिरोइन -मिथुन/श्रीदेवी
संगीतकार: बप्पी लाहिरी
गायक-आशा भोसले, मोहम्मद अज़ीज़
इस गाने को देख के सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि
८० के दशक में दक्षिण भारतीय फ़िल्म निर्माता निर्देशकों
का प्रभाव बॉलीवुड पे किस कदर पड़ा। वो फिल्में जो
बी. ए, एम. ए , बी. एस. सी डिग्री धारक निर्माता निर्देशकों
द्वारा तैयार की जाती थी । इन फिल्मों के गानों में ढेर सारे
एक्स्ट्रा कलाकार होते थे। इस दौर में श्रीदेवी और जया प्रदा
की कई फिल्में आई। अधिकतर फिल्मों में नायक जीतेंद्र हुआ
करता था।
गाने के बोल:
तू भी बेकरार, मैं भी बेकरार
तू भी बेकरार, मैं भी बेकरार
तुझे छूना चाहे साँसों के तार
होता नहीं हमसे और इन्तेज़ार
तू भी बेकरार.....................
बाँहों में तेरी सिमटने को बेताब मेरे अरमान कबसे
सीने से तेरे लिपटने को बेचैन ये जिस्मो जान कबसे
रहा नहीं खुदपे मुझे इख्तियार
तू भी बेकरार, मैं भी बेकरार
सौ सूरज की आब लिए है, चेहरा है वो गुलाब तेरा ,
ताब कहाँ इंसान में इनती देख सके जो शबाब तेरा
तेरा हुस्न कुदरत का एक शाहकार
तू भी बेकरार मैं भी बेकरार
तुझे छूना चाहे साँसों के तार
होता नहीं हमसे और इन्तेज़ार
तू भी बेकरार.....................
..................................................................
Too bhi beqarar-Waqt ki awaaz 1988
Artists: Mithun, Sridevi
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