ब्लू लाइन सेवा और प्रेमरोग १९८२
दिल्ली शहर में बस का सफ़र एक कष्टकारी अनुभव माना जाता
रहा है लेकिन अपवाद स्वरुप ये कभी कभी आनंददायक हो जाता
है विशेषकर जब बस खाली हो और ड्राईवर उसको हवाई जहाज़
समझ कर न चला रहा हो । और तो और , एक चुटकुला है ब्लू लाइन
सेवा पर : दिल्ली में रोड पर चलते हुए आप कैसे सुरक्षित रहेंगे?
इसका जवाब है - 'ब्लू लाइन बस' के अन्दर बैठकर ।
ये चुटकुला 'रेड लाइन बस सर्विस' के ज़माने में बनाया गया था
लेकिन आज भी उतना ही प्रासंगिक है. तो साहब हम चले फ्री-दा-बाद
से बदरपुर बोडर की तरफ। फरीदाबाद को ऐसे ही पुकारा जाता है
दिल्ली में । बोर्डर को भी बोडर ज्यादा बोला जाता है कंडक्टरों द्वारा ।
एक खटारा थ्री व्हीलर में बैठने के बाद हमने कुछ हिंदी गानों की
पैरोडी सुनी हरयाणवी भाषा में। ये बात और है मजा टुकड़े टुकड़े में
मिला क्यूंकि थ्री व्हीलर वाला सड़क पर अपनी नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन
करता चला जा रहा था। आगे चल के हमें ४६० नंबर की बस मिली जो कि
'बॉर्डर' से 'मिन्टो रोड टरमिनस' तक जाती है । बस में बैठते ही थोडी देर
बाद एक गाना बजना शुरू हुआ -मोहब्बत है क्या चीज हमको बताओ।
"बेचारे ज़मीन के" के ज़माने में बाबा आदम के ज़माने का गाना बजे तो
कोई भी चक्कर खा जायेगा। खैर हमने सोचा कि आज ड्राईवर ने २ कुलचे
एक्स्ट्रा खा लिए हैं इसलिए उसका हाजमा ख़राब है ।
हम भी गुनगुनाने लगे अपनी जवानी को याद कर करके । गाना ख़तम होते
ही आवाज़ आई "ओये रंजीते "। बेडा गर्क। गाने का सारा मजा जाता रहा.
फिर आवाजें आई "चलो चलो आगे बढो "
फिलहाल इस गाने का आनंद उठायें जो अपने ज़माने का सुपरहिट गीत रहा है।
गायक: लता, सुरेश वाडकर
संगीत:लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार: पंडित नरेन्द्र शर्मा
गीत के बोल:
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
भँवरे तू कहना ना भूल
फूल तुझे लग जाये मेरी उम्र
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
भँवरे तू कहना ना भूल
फूल तेरा हो गया इधर उधार
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
वो दिन अब ना रहे, क्या क्या विपदा पड़ी फूल पर
कैसे फूल कहें, वो दिन अब ना रहे
होनी थी या हो अनहोनी जाने इसे विधाता
छूते सब श्रृंगार गिरा गले हार टूटा हर नाता
शीश फूल मिल गया धूल में क्या क्या दुखन सहे
वो दिन अब ना रहे
भँवरे तू कहना ना भूल फूल डाली से गया उतर
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
सुख दुःख आये जाए जाए सुख दुःख आये जाए जाए
सुख की भूक ना दुःख की चिंता
प्रीत जिसे अपनाए सुख दुःख आये जाए
मीरा ने पिया विष का प्याला विष को भी अमृत कर डाला
प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ के मस्त कबीर गाये
सुख दुःख आये जाए
भँवरे तू कहना ना भूल फूल गुज़रे दिन गए गुज़र
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
ना ना रे ना
होली फूले फुलवारी में भंवरा
गुण गुण गुण गुण गुण गाये
काहे सोवत नीरा जगाये काहे सोवत नीरा जगाये
लाखों के इस एक फूल ने लाखों फूल खिलाये
मंद मंद मुस्काये काहे सोवत निंदिया जगाये
भँवरे तू कहना ना भूल फूल तेरा मधुर नहीं मधुकर
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
भँवरे तू कहना ना भूल
फूल मेरा सुन्दर सरल सुधर
भँवरे ने खिलाया फूल,
फूल को ले गया राज कुंवर
तू ही मेरा सुन्दर सरल सुधर
फूल को ले गया राज कुंवर
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Bhanwre ne khilaya phool phool-Prem Rog 1982
Artists: Rishi Kapoor, Padmini Kolhapure
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