ये रंग न छूटेगा-चाइना टाऊन १९६२
अब आकाशवाणी के एनाउंसर की स्टाइल में थोड़ा विवरण हो
जाए। अगला गाना लिया है फ़िल्म चाइना टाऊन से । गाया है
मोहम्मद रफी और आशा भोंसले ने । इस गीत के बोल लिखे हैं
मजरूह सुल्तानपुरी ने और संगीत दिया है रवि ने
आगे का विवरण-शम्मी कपूर इसमे नायक हैं। नायिका
का नाम शकीला है । फ़िल्म सन १९६२ में आई थी। हमको
१९९० में देखने को मिली । इस गीत को रेडियो पर ही
४-५ बार सुना था १९९० के पहले ।
गाने की गौर करने लायक बात ये है की इसमे शकीला अपनी गर्दन
३६० के कोण से घुमाने का प्रयत्न कर रही हैं, वो बात जिसके लिए
शम्मी कपूर विख्यात हैं। Physics में आपने यह ज़रूर पढ़ा होगा-
mutual induction। है ना वैसी ही किस्म की चीज़ ?
गाने के बोल:
ये रंग न छूटेगा, उल्फ़त की निशानी है
कुछ तेरा फ़साना है, कुछ मेरी कहानी है
ये रंग न छूटेगा ...
लहरा के उठा मौसम, रुत बनके क़रार आई
लहरा के उठा मौसम, रुत बनके क़रार आई
आई तो मगर कितना, तरसा के बहार आई
तरसा के बहार आई, पर कितना सुहानी है
ये रंग न छूटेगा ...
आँखें हैं तुम्हारी या, छलका हुआ पैमाना
आँखें हैं तुम्हारी या, छलका हुआ पैमाना
अपना तो मुहब्बत में दिल हो गया दीवाना
या हम ही दीवाने हैं या रुत ही दीवानी है
ये रंग न छूटेगा ...
देखो न भुला देना प्यार के वादों को
देखो न भुला देना प्यार के वादों को
तुम भी न बदल देना चाहत के इरादों को
अब प्रीत लगी तुमसे कुछ मैने भी ठानी है
ये रंग न छूटेगा ...
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Ye rang na chhotega-China Town 1962
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