जब जब फूल खिले-शिकस्त १९५३
को न पहचाने तो उसके ज्ञान पर संदेह होने लगता है । कभी कभी
ऐसे मसाले पढ़कर लगता है कोई दूसरे ग्रह का प्राणी हिन्दी फिल्मों के
बारे में लिख रहा हो । ५० के दशक की 'फैशन क्वीन' के नाम से
विख्यात नलिनी अपनी बड़ी बड़ी आँखों की वजह से भी चर्चा में हमेशा
रहीं। पुराने, सफ़ेद बालों वाले किसी फिल्मों के शौकीन बुजुर्ग से पूछिए
कि कैसे उस ज़माने में लोग नलिनी का नाम ले के आहें भरा करते थे।
मोहन सहगल के बारे में अपने पिछली एक पोस्ट में पढ़ा । अब बातें
करें रमेश सहगल के बार में । इनका दिमाग भी संगीतमय था ।
जब शहीद फ़िल्म आई थी १९४८ में, तभी शायद संगीत प्रेमियों की
समझ में आ गया था की वे आगे कई मधुर संगीत से सजी फिल्में
देने वाले हैं । शंकर जयकिशन के संगीत जगत में पदार्पण के बाद
रमेश सहगल ने भी उनको मौका दिया शिकस्त में ।
प्रस्तुत युगल गीत में एक "अलग सी जोड़ी " है । दिलीप कुमार और
नलिनी जयवंत को शायद आपने किसी और फ़िल्म में नहीं देखा होगा.
रमेश सहगल की कुछ संगीतमय फिल्में हैं:शहीद(१९४८), समाधि(१९५०)
अब आप समझ गए होंगे कि इस फ़िल्म में नलिनी जयवंत क्यूँ हैं ।
१९७० में बनी फ़िल्म 'इश्क पर ज़ोर नहीं' का निर्देशन भी उन्होंने किया
था । शोला और शबनम(१९६१) में स्क्रीन प्ले भी उन्ही का था.
एक सदाबहार युगल गीत. लता मंगेशकर और तलत महमूद की आवाज़
में । इस गीत के रचनाकार हैं शैलेन्द्र।
गाने के बोल:
जब जब फूल खिले
जब जब फूल खिले
तुम्हे याद किया हमने
जब जब फूल खिले
देख अकेला हमें
देख अकेला हमें
हमें घेर लिया गम ने
जब जब फूल खिले
मन को मैंने लाख मनाया
पर अब तो है वो भी पराया
मन को मैंने लाख मनाया
पर अब तो है वो भी पराया
ज़ख्म किए नासूर
ज़ख्म किए नासूर
तेरी याद के, मर हमने
जब जब फूल खिले
मिलने के हैं लाख बहाने
लेकिन मन का मीत न माने
मिलने के हैं लाख बहाने
लेकिन मन का मीत न माने
दिल तोडा हर बार
दिल तोडा हर बार
मेरे भोले हमदम ने,
जब जब फूल खिले
देख अकेला हमें
हमें घेर लिया गम ने
जब जब फूल खिले
पत्थर दिल तकदीर मिली है
पैरों में ज़ंजीर मिली है
पत्थर दिल तकदीर मिली है
पैरों में ज़ंजीर मिली है
राज़ मेरे दिल के
राज़ मेरे दिल के
कहे रो के शबनम ने
जब जब फूल खिले
तुम्हे याद किया हमने
जब जब फूल खिले
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Jab jab phool khile-Shikast 1953
Artists-DIlip Kumar, Nalini Jaywant
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