Jul 10, 2009

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो-अर्थ १९८२

70 के दशक में कई ग़ज़ल गायकों का पदार्पण हुआ संगीत के क्षेत्र में।
इनमे से एक चर्चित नाम है जगजीत सिंह और चित्रा सिंह का ।

जगजीत सिंह की गाई एक ग़ज़ल फ़िल्म 'आविष्कार' में थी जिसमे
राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर प्रमुख भूमिका में हैं। इस फ़िल्म से
जगजीत सिंह को कोई फ़ायदा नहीं हुआ और बॉलीवुड में उनको इंतज़ार
करना पड़ा १९८० तक। ग़ज़ल गायकों को फिल्मों में स्थान दिलाने में
काफ़ी हद तक गुलाम अली की फ़िल्म निकाह में शामिल की गई ग़ज़ल
"चुपके चुपके रात दिन" का योगदान है।

एक फ़िल्म आई -अर्थ जिसको हम आर्ट फ़िल्म और कॉमर्शियल सिनेमा
का मिश्रण कह सकते हैं । इसे महेश भट्ट ने निर्देशित किया था।
इसमे जगजीत सिंह के कई नगमे हैं उनमे से सबसे ज्यादा चर्चा में
रहने वाला गाना है-तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो । जटिल भावनाओं
के मिश्रण से परिपूर्ण इस गाने में शबाना आज़मी और राजकिरण हैं।
शबाना प्रभावशाली अभिनय के लिए जानी जाती हैं। इस पाँच मिनट
के गाने में उन्होंने अपने अभिनय के सभी जौहर दिखला दिए हैं। गाने
की धुन, बोल सभी उच्च कोटि के हैं ।
गीतकार : कैफी आज़मी
संगीतकार: जगजीत सिंह





गाने के बोल:

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो

तुम इतना जो .....

आँखों में नमी, हँसी लबों पर
क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो

क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो
क्या ग़म है जिसको .....

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो

बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क़ जो पीते जा रहे हो

ये अश्क़ जो पीते जा रहे हो
क्या ग़म है जिसको .....

जिन ज़ख्मों को वक्त भर चला है
जिन ज़ख्मों को वक्त भर चला है
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो

तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो
क्या ग़म है जिसको .....

रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो

रेखाओं से मात खा रहे हो
क्या ग़म है जिसको .....

क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो
.................................................................
Tum itna jo muskura rahe ho-Arth 1982

Artists: Raj Kiran, Shabana Azmi,

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