मेरे पिया छेड़े जिया-चाचा चौधरी १९५३
फ़िल्म का नाम सुनते ही एक हिन्दी कॉमिक्स का नाम
याद आ जाता है जिसमें चाचा चौधरी और साबू के किरदार थे।
ये फ़िल्म मदन मोहन के शुरुआती दौर की फिल्मों में से है।
मदन मोहन ने इस फ़िल्म में आशा भोसले से एकल गीत गवाए हैं।
शशिकला इस फ़िल्म में हिरोइन हैं। शायद शशिकला पर आशा की
आवाज़ ज्यादा जंचती हो इसलिए आशा से गीत गवाए हैं संगीतकार ने ।
जो भी कारन रहा हो इस फ़िल्म के गीतों में से शायद यही
एक गीत थोड़ा बहुत सुनने में आया है। गीत थोड़ा धीमा है और
गाना गाते गाते हिरोइन की क्रियायें भी धीमी हो जाती हैं और वो सो जाती है।
उम्मीद करते हैं इसको देखने वाले नहीं सोयेंगे।
इस गीत के बोल लिखे हैं राजेंद्र कृष्ण ने।
गाने के बोल:
मेरे पिया, छेड़े जिया
धीरे से आके, ठंडी हवा
बीत गई गम की घड़ी
झूम रही है ज़िन्दगी
फूल खिले, दिल भी मिले,
कह दो हवा से अब न सता
मेरे पिया......
एक नई दुनिया बसी
अंगडाई लेके प्रीत हँसी
तुमसे हमें हमसे तुम्हें
अब तो नहीं है कोई गिला
मेरे पिया........
सोने चलें जाने कहाँ
तारों की झिलमिल कारवां
लगने लगी आंख जरा
गुजरे ज़माने याद न आ
मेरे पिया, छेड़े जिया
धीरे से आके, ठंडी हवा
मेरे पिया
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