Aug 20, 2009

आँचल में सजा लेना कलियां-फिर वही दिल लाया हूँ 1963

मजरूह के बोल हों, ओ पी नय्यर का संगीत हो, जॉय मुखर्जी
हीरो हों और रफी की आवाज़ हो तो क्या कहने। गीत बढ़िया
ही होना चाहिए । जी हाँ, मैं फ़िल्म "फ़िर वही दिल लाया हूँ"
की बात कर रहा हूँ। ये रफी के गाये सबसे शानदार रोमांटिक
गीतों में से एक है। जब बढ़िया बोल मिल जायें तो संगीतकार
की प्रतिभा अपने चरम पर पहुँच जाती है। इस गाने में अभिनेत्री
आशा पारेख हैं जिनके लिए जॉय मुखर्जी अपने भाव व्यक्त कर
रहे हैं। ये एक सदाबहार, सदा-जवान गीत है।


गाने के बोल:

आँचल में सजा लेना कलियाँ,
ज़ुल्फ़ों में सितारे भर लेना
ऐसे ही कभी जब शाम ढले,
तब याद हमें भी कर लेना

आँचल में सजा लेना कलियाँ

आया था यहाँ बेगाना सा
आया था यहाँ बेगाना सा,
चल दूंगा कहीं दीवाना सा
चल दूंगा कहीं दीवाना सा

दीवाने की खातिर तुम कोई,
इल्ज़ाम ना अपने सर लेना
ऐसे ही कभी जब शाम ढले,
तब याद हमें भी कर लेना

आँचल में सजा लेना कलियाँ

रस्ता जो मिले अंजान कोई
रस्ता जो मिले अंजान कोई,
आ जाए अगर तूफ़ान कोई
आ जाए अगर तूफ़ान कोई

अपने को अकेला जान के तुम
आँखों में न आंसू भर लेना

ऐसे ही कभी जब शाम ढले,
तब याद हमें भी कर लेना

आँचल में सजा लेना कलियाँ
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Aanchal mein saja lena kaliyan-Phir wahi dil laya hoon 1963

Artists-Asha Parekh, Joy Mukherji

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