रिमझिम के तराने लेके आई- काला बाज़ार १९६०
बरसात के ऊपर हिन्दी फिल्मों में कई गाने बने हैं,
कुछ श्वेत श्याम, कुछ रंगीन। कुछ तड़क भड़क वाले
तो कुछ सादगी पूर्ण, सभी प्रकार के रंग फिल्मी बरसात
देख चुकी है पिछले ७५ सालों में। देव आनंद और
वहीदा रहमान पर फिल्माया गया ये युगल गीत गाया है
गीता दत्त और रफ़ी ने। बोल हैं शैलेन्द्र के और संगीत है
राहुल देव बर्मन के पिताजी का।
गीत के बोल:
रिमझिम के तराने लेके आयी बरसात
याद आये किसी से वो पहली मुलाक़ात
रिमझिम के तराने लेके आयी बरसात
याद आये किसी से वो पहली मुलाक़ात
भीगे तन मन पड़े रस की फुहार
प्यार का सन्देसा लायी बरखा बहार
भीगे तन मन पड़े रस की फुहार
प्यार का सन्देसा लायी बरखा बहार
मैं ना बोलूँ,
मैं ना बोलूँ आँखें करें अँखियों से बात
रिमझिम के तराने लेके आयी बरसात
सुन के मतवाले काले बादलों का शोर
रूम झूम घूम घूम नाचे मन का मोर
सुनके मतवाले काले बादलों का शोर
रूम झूम घूम घूम नाचे मन का मोर
सपनों का साथी चल रहा मेरे साथ
रिमझिम के तराने लेके आयी बरसात
याद आये किसी से वो पहली मुलाक़ात
रिमझिम के तराने लेके आयी बरसात
जब मिलते हो तुम तो छूटें दिल के तार
मिलने को तुम से मैं क्यों था बेक़रार
जब मिलते हो तुम तो छूटें दिल के तार
मिलने को तुम से मैं क्यों था बेक़रार
रह जाती है,
रह जाती है क्यों होठों तक आके दिल की बात
रिमझिम के तराने लेके आयी बरसात
याद आये किसी से वो पहली मुलाक़ात
रिमझिम के तराने लेके आयी बरसात!
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