मदभरी ये हवाएं -अनोखा दान
लता मंगेशकर के लिए लगभग सारे संगीतकारों ने
अपनी श्रेष्ठ धुनें दी हैं। इस वाक्य को आप लोग बारंबार मेरे
ब्लॉग पर देखेंगे जब जब किसी विशेष गीत का जिक्र होगा।
बहु आयामी प्रतिभा के धनी संगीतकार सलिल चौधरी ने
अपनी अलग पहचान बनाई फ़िल्म संगीत के क्षेत्र में, उन्होंने
लता मंगेशकर से बहुत से बंगाली गीत गवाए । उन बंगाली गीतों
में अधिकतर पसंद किए गए। सलिल के अधिकतर गीतों में लता
मंगेशकर ऊंची पट्टी पर गाती सुनाई पड़ती हैं। हिन्दी में उनके जो
श्रेष्ठ गीत हैं उनमे से एक है फ़िल्म 'अनोखा दान' का ।
गाने के बोल
मदभरी ये हवाएं
मदभरी ये हवाएं
पास आयें
नाम लेकर मुझको ये बुलाएँ
मदभरी ये हवाएं
पास आयें
नाम लेकर मुझको ये बुलाएँ
मदभरी ये हवाएं
मैंने रातों से कर ली दोस्ती
तारों के लिए
और चुरा के लिया ये दिन
बहारों के लिए
ऐ ज़मीन आसमान
मुझको दो दुआएं
मदभरी ये हवाएं
पास आयें
नाम लेकर मुझको ये बुलाएँ
मदभरी ये हवाएं
मैंने लहरों की बाहें थामकर
ढूंढें हैं भंवर
साहिलों पे किसी अजनबी की
तलाशी है डगर
काश लेकर उसे
लहरें लौट आयें
मदभरी ये हवाएं
मेरा अंचल पकड़ के प्यार से
कहती है हवा
कल जिधर मैं चलूँ
जा मिलेगा उन्ही से रास्ता
जिनकी मंजिल मिले
उनसे जोड़ राहें
मदभरी ये हवाएं
पास आयें
नाम लेकर मुझको ये बुलाएँ
मदभरी ये हवाएं
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