किसने चिलमन से मारा-बात एक रात की १९६२
सुने होंगे आपने। यह गीत है फ़िल्म बात एक रात की से,
और ये एक कठिन गीत है । सारे संगीतकार जब कोई कठिन
बंदिश बनाते तो मन्ना डे को ज़रूर याद करते। जिस गीत में
अत्यधिक उतार चढाव हों, उसके लिए मन्ना डे की गायकी और
आवाज़ को सबसे उपयुक्त समझा जाता। इसका बढ़िया
नमूना ये गीत ही देख लीजिये। बोल हैं मजरूह सुल्तानपुरी
के और धुन है सचिन देव बर्मन की। मजरूह ने तबियत से
कठिन हिन्दी और उर्दू शब्दों का प्रयोग किया है इस गीत में।
मजरूह सुल्तानपुरी ज़बरदस्त लेखक थे. वे चाहते तो फुल टाइम
व्यंग्यकार भी हो सकते थे. उनकी लेखनी में कई रूप छिपे हुए
हैं जो उनको हरफनमौला बनाते हैं.
गीत के बोल:
अरे
किसने, चिलमन से मारा
हाय, किसने चिलमन से मारा
अरे, नज़ारा मुझे
किसने चिलमन से मारा, नज़ारा मुझे
किसने चिलमन से मारा
बिखेरे बाल जब वो
बिखेरे बाल जब वो
बिखेरे बाल, जब वो
आसमानों पर, घटा झूमे
चले जब
चले जब, हाय
चले जब, नाज़ से ज़ालिम
क़यामत भी, क़दम चूमे
क़यामत भी क़दम चूमे
हां, पग में पायल डार के
घूंघट नयन झुकाए
बिन बादल की, दामिनी
बिन बादल की दामिनी
चमकत लचकत जाय
चमकत लचकत जाय
चमकत लचकत जाय
चमकत लचकत जाय
फिर ना देखा हाय
फिर ना देखा, ना देखा, ना देखा,
ना देखा
अरे, फिर ना देखा, पलट के, दुबारा मुझे
फिर ना देखा, पलट के, दुबारा मुझे
किसने चिलमन से , हाय
किसने चिलमन से मारा
सीने में दिल है, दिल में दाग
दागों में सोज़-ओ-साद-ऐ-इश्क
सीने में दिल है, अरे वाह
सीने में दिल है
दिल में दाग
दागों में सोज़-ओ-साज़-ऐ-इश्क
परदा बपर्दा है पिन्हा
परदानशीं का राज़-ऐ-इश्क
परदा बपर्दा
अरे वाह, परदा बपर्दा
वाह वाह, परदा बपर्दा
अरे मौला, परदा बपर्दा है पिन्हा
परदानशीं का राज़-ऐ-इश्क
जतन मिलन का तब करूं
नाम पता जब होय
एक झलक बस
एक झलक दिखलाय के कर गई पागल मोय
कर गई पागल मोय
कर गई पागल मोय
कर गई पागल मोय
मेरे दिल, मेरे दिल, मेरे दिल
अरे,
मेरे दिल ने तड़पकर
हाय, दिल ने तड़पकर
मेरे दिल ने तड़पकर
मेरे दिल ने तड़पकर पुकारा मुझे
किसने चिलमन से मारा, नज़ारा मुझे
किस ने चिलमन से मारा
.................................
Kisne chilman se maara-Baat ek raat ki 1962
0 comments:
Post a Comment