Sep 12, 2009

जिन्हें हम भूलना चाहें-आबरू १९६८

ये शायद संगीतकार जोड़ी सोनिक ओमी की दूसरी हिंदी फिल्म
थी, मुझे अभी तक उपलब्ध जानकारी अनुसार। मुकेश का गाया
ये गीत बेहद चर्चित रहा। उस ज़माने में इन्दीवर के लिखे और
कल्याणजी आनंदजी के संगीत वाले मुकेश के गाये गीत कई गीत
सुनाई देते थे। पहले पहल मुझे यही लगा की इसकी धुन भी
कल्याणजी आनंदजी ने बनायीं है। एक दिन रेडियो की घोषणा ध्यान
से सुनने पर पाया कि ना तो इसके गीतकार इन्दीवर हैं और ना ही
इसके संगीतकार गुजरती बन्धु। गीतकार हैं जी एल रावल और
संगीतकार हैं पंजाबी मूल के सोनिक-ओमी। ये जो जी एल रावल
साहब हैं वो सी एल रावल के भाई हैं। सी एल रावल ने कई फिल्मों
का निर्देशन किया और उनकी फिल्मों में अक्सर संगीत सोनिक ओमी
का ही हुआ करता। रावल की १९६३ की दिल ही तो है(१९६३) में रोशन का
संगीत था।



गीत के बोल:

जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं
बुरा हो इस मोहब्बत का
बुरा हो इस मोहब्बत का
वो क्यूँ कर यद् आते हैं

जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं

बुलायें किस तरह उनको कभी पी थी उन आँखों से
बुलायें किस तरह उनको कभी पी थी उन आँखों से
कभी पी थी उन आँखों से
छलक जाते हैं जब आंसू
छलक जाते हैं जब आंसू
वो सागर याद आते हैं

जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं

किसी के सुर्ख लब थे या दिए कि लौ मचलती थी
किसी के सुर्ख लब थे या दिए कि लौ मचलती थी
दिए की लौ मचलती थी
जहाँ की थी कभी पूजा
जहाँ की थी कभी पूजा
वो मंज़र याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं

रहे ए शम्मा तू रोशन दुआ देता है परवाना
रहे ए शम्मा तू रोशन दुआ देता है परवाना
जिन्हें किस्मत में जलना है
जिन्हें किस्मत में जलना है
वो जल कर याद आते हैं

जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं
बुरा हो इस मोहब्बत का
बुरा हो इस मोहब्बत का
वो क्यूँ कर याद आते हैं

जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना चाहें

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