ढलती जाए रात- रज़िया सुल्ताना १९६१
सुनते मुझे बहुत साल हो गए हैं । इस गीत में आपको जयराज और
निरूपा रॉय नामे के कलाकार दिखाई देंगे। गीत गाया है आशा और
रफ़ी ने। आनंद बक्षी के शायद शुरुआती गीतों में से एक है ये।
धुन बनायीं है एक गुमनाम से संगीतकार लच्छीराम ने। ये युगल गीत
भी अन्य कलाकारों द्वारा गाया जा रहा है परदे पर फिल्म सुहागन के
गीत की तरह जिसमे माला सिन्हा और गुरु दत्त नज़र आते हैं।
एक आनंदित करने वाले सदाबहार गीत का आनंद उठाइए।
गीत के बोल:
ढलती जाए रात कह ले दिल की बात
शमा-परवाने का न होगा फिर साथ
ढलती जाए रात कह ले दिल की बात
शमा-परवाने का न होगा फिर साथ
ढलती जाए रात
मस्त नज़ारे चाँद सितारे रात के मेहमाँ हैं ये सारे
उठ जाएगी शब की महफ़िल नूर-ए-सहर के सुन के नक्कारे
हो न हो दुबारा मुलाक़ात
ढलती जाए रात
नींद के बस में खोई-खोई कुल दुनिया है सोई सोई
ऐसे में भी जाग रहा है हम तुम जैसा कोई कोई
क्या हसीं है तारों की बारात
ढलती जाए रात
जो भी निग़ाहें चार है करता उसपे ज़माना वार है करता
हूँ राह-ए-वफ़ा का बन के राही फिर भी तुम्हें दिल प्यार है करता
बैठा ना हो ले के कोई घात
ढलती जाए रात कह ले दिल की बात
शमा-परवाने का न होगा फिर साथ
ढलती जाए रात कह ले दिल की बात
शमा-परवाने का न होगा फिर साथ
ढलती जाए रात
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