राही मनवा दुःख की चिंता-दोस्ती १९६४
प्रेरणादायक गीतों में से एक है फ़िल्म दोस्ती का
मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ गीत -
"राही मनवा दुःख की चिंता क्यूँ सताती है "
संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की शुरुआती फिल्मों
में से एक है दोस्ती जो कि राजश्री प्रोडकशंस द्वारा निर्मित
फ़िल्म है। इसमे दो अनजान कलाकारों ने अभिनय किया है
जिसमे से एक है सुधीर कुमार जिसपर ये गाना फिल्माया गया है ।
गाने के बोल:
दुःख हो या सुख
जब सदा संग न रहे कोए
फ़िर दुःख को अपनाइए
कि जाए तो दुःख न होए
राही मनवा दुःख कि चिंता क्यूँ सताती है
दुःख तो अपना साथी है
राही मनवा दुःख कि चिंता क्यूँ सताती है
दुःख तो अपना साथी है
सुख है एक छाँव ढलती आती है जाती है
दुःख तो अपना साथी है
राही मनवा ....
दूर है मंजिल दूर सही
प्यार हमारा क्या कम है
पग में कांटे लाख सही
पर ये सहारा क्या कम है
हमराह तेरे कोई अपना तो है
हमराह तेरे कोई अपना तो है
सुख है एक छाँव ढलती आती है जाती है
दुःख तो अपना साथी है
राही मनवा ....
दुःख हो कोई तब जलते हैं
पथ के दीप निगाहों में
इतनी बड़ी इस दुनिया की
इस लम्बी अकेली राहों में
हमराह तेरे कोई अपना तो है
हमराह तेरे कोई अपना तो है
सुख है एक छाँव ढलती आती है जाती है
दुःख तो अपना साथी है
राही मनवा दुःख कि चिंता क्यूँ सताती है
दुःख तो अपना साथी है
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