जिस गली में तेरा घर ना हो-कटी पतंग १९७०
फ़िल्म में किशोर कुमार के गाने ज्यादा हैं। उनकी उपस्थिति के
बावजूद ये गाना अपनी पहचान बनने में कामयाब रहा और बहुत
प्रसिद्ध हुआ। शायद संगीत निर्देशक को थोड़ा दर्द चाहिए था इस
गाने में इसलिए उन्होंने मुकेश से ये गाना गवाया।
आनंद बक्षी ने तबियत से गाने लिखे फिल्म के लिए. इस गीत
की कुछ एक पंक्तियाँ जो सहज जुबां पे आ जाती हैं वो यूँ हैं-
‘हाँ ये रस्में ये कसमें सभी छोड़ के,
तू चली आ चुनर प्यार की ओढ़ के
या चला जाऊँगा मैं ये जग छोड़ के’
गाने के बोल :
जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा
उस गली से हमें तो गुज़ारना नहीं
जो डगर तेरे द्वारे पे जाती ना हो
उस डगर पे हमें पाँव रखना नहीं
ज़िन्दगी में कई रंगरलियाँ सही
हर तरफ मुस्कुराती ये कलियाँ सही
खूबसूरत बहारों की गलियाँ सही
जिस चमन में तेरे पग में कांटे चुभे
उस चमन से हमें फूल चुनना नहीं
जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा
उस गली से हमें तो गुज़ारना नहीं
हाँ ये रस्में ये कसमें सभी तोड़ के
तू चली आ चुनर प्यार की ओढ़ के
या चला जाऊंगा मैं ये जग छोड़ के
जिस जगह याद तेरी सताने लगे
उस जगह एक पल भी ठहरना नहीं
जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा
उस गली से हमें तो गुज़ारना नहीं
जो डगर तेरे द्वारे पे जाती ना हो
उस डगर पे हमें पाँव रखना नहीं
जिस गली में तेरा घर ना हो बालमा
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Jis gali mein tera ghar na ho-Kati patang 1970
Artists: Rajesh Khanna, Asha Parekh
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