ऐ दिल-ऐ-आवारा चल-डाक्टर विद्या 1962
एक मुकेश का गीत जिसका जिक्र एस डी बर्मन भक्त शायद ही
करते हैं वो है फ़िल्म 'डाक्टर विद्या' का, 'ऐ दिल-ऐ-आवारा चल"
ऐसे वे इसलिए करते हैं कि एक गायक विशेष को याद करने से ही
उनको फुरसत नहीं मिलती है।
प्रस्तुत गीत मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ है। गौर फरमाएं कि
खट्टी-मीठी और आँखों का कनेक्शन गुलज़ार साहब की देन नहीं है,
उसके पहले भी इसका जिक्र हुआ है हिन्दी गानों में। इस गाने के
दूसरे अंतरे में आपको ये मिल जाएगा। चैन से बेचैन होने की दास्तान
का बयां भी बखूबी किया गया है इस गाने में। सरसरी तौर पर सुनने में ये
हल्का फुल्का गीत लगता है मगर इसके अंतरे गहरे हैं थोड़े से।
यही इस गाने की खूबी है और मुकेश ने इसको बहुत ही मस्ती में गाया है।
इस गीत का विडियो उपलब्ध नहीं है यू - ट्यूब पर। ऑडियो से ही काम चलायें।
गाने के बोल:
ओ ,ऐ दिल-ऐ-आवारा चल
फ़िर वहीँ दोबारा चल
यार ने दीदार का वादा किया है
हो ,ऐ दिल-ऐ-आवारा चल
फ़िर वहीँ दोबारा चल
यार ने दीदार का वादा किया है
हो ,ऐ दिल-ऐ-आवारा चल
वो उनकी बेताबी
वो उनका छम से
अंचल थामा तो हंस के
कहा फ़िर मिलने को हमसे
उनसे, हमसे
सुन ऐ दिल
प्यार का इकरार आँखों में हुआ है
हो, ऐ दिल-ऐ-आवारा चल
खट्टी हो या मीठी
अब उन आँखों से पीना
जीते हैं चाहत वाले
बिना चाहत के क्या जीना
चलते फिरते
सुन ऐ दिल
चाह में अब आह भरने का मज़ा है
हो, ऐ दिल-ऐ-आवारा चल
चमका है एक मुखडा
कुछ जुल्फें हैं लहराईं
दिन अपने फ़िर गए अपने दिन के
गई रातों की तन्हाई
चमका है एक मुखडा
कुछ जुल्फें हैं लहराईं
दिन अपने फ़िर गए अपने दिन के
गई रातों की तन्हाई
जहाँ वो वहां हम
सुन ऐ दिल
चैन से बेचैन तू क्यूँ हो रहा है
हो ऐ दिल-ऐ-आवारा चल
फ़िर वहीँ दोबारा चल
यार ने दीदार का वादा किया है
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Ae dil-e-awara chal-Dr. Vidya 1962
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