चौदहवी का चाँद हो-चौदहवी का चाँद
मजमूँ ये है कि हीरो एक निहायत ही रोमांटिक गाना गाता है
और उसे सुनकर सोती हुई अभिनेत्री उठ जाती है और कुछ
घबराती है, कुछ शर्माती है। अब अकस्मात तारीफों की बौछार
पड़ेगी तो किसी के भी साथ यही होगा। इस गाने में वहीदा रहमान
को सुंदर दिखने में कोई कसार नहीं छोड़ी गई है। इस गाने को
आसानी से सर्वकालीन कसीदाकारी वाले गानों में शामिल
किया जा सकता है। नए प्रेमी प्रेमिकाओं के लिए अच्छा ट्युटोरियल
है ये -तारीफ़ कैसे की जाए !
गाने के बोल:
चौदहवी का चाँद हो या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो
चौदहवी का चाँद हो..
जुल्फे हैं जैसे कांधों पे बादल झुके हुए
जुल्फे हैं जैसे कांधों पे बादल झुके हुए
ऑंखें हैं जैसे मय के प्याले भरे हुए
मस्ती है जिसमे प्यार की तुम वो शराब हो
चौदहवी का चाँद हो या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो
चौदहवी का चाँद हो..
चेहरा है जैसे झील में हँसता हुआ कमल
चेहरा है जैसे झील में हँसता हुआ कमल
या ज़िन्दगी के साज़ पे छेड़ी हुई ग़ज़ल
जाने-बहार तुम किसी शायर का ख्वाब हो
चौदहवी का चाँद हो या आफ़ताब हो
जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो
चौदहवी का चाँद हो
होंठों पे खेलती है तबस्सुम की बिजलियाँ
होंठों पे खेलती है तबस्सुम की बिजलियाँ
सजदे तुम्हारी राह में करती है कहकशां
दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क का तुम ही शबाब हो।
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