बेचैन नज़र बेताब जिग़र-यास्मीन १९५५
सी. रामचंद्र का जादू सर चढ़ के भी बोलता था। इसका
अच्छा उदाहरण ये नग्मा है जो तलत महमूद की मखमली
आवाज़ में उपलब्ध है। यास्मीन फ़िल्म अपने मधुर संगीत
के लिए जानी जाती है। फ़िल्म ज्यादा नहीं चली लेकिन गाने
बजते रहे इसके तमाम् रेडियो चैनल पर। इस गाने में मँडोलिन
वाद्य का सुंदर प्रयोग किया गया है। धुन ताज जरूर है मगर इसकी
गति लुभाने वाली है। ये शायद तलत महमूद के गाये तेज़ गति
के गीतों में से एक है।
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गाने के बोल:
बेचैन नज़र बेताब जिग़र
बेचैन नज़र बेताब जिग़र
ये दिल है किसी का दीवाना
हाय दीवाना
कब शाम हो और वो शम्मा जले
कब उड़कर पहुंचे परवाना
हाय परवाना
है दिल का चमन खिलने के लिए
आएगा कोई मिलने के लिए
है दिल का चमन खिलने के लिए
आएगा कोई मिलने के लिए
फूलों से कहो तारों से कहो
फूलों से कहो तारों से कहो
चुपके से सज़ा दें वीराना
हाय वीराना
जब रात जरा शबनम से घुले
लहराई हुई वो जुल्फ खुले
जब रात जरा शबनम से घुले
लहराई हुई वो जुल्फ खुले
नज़रों से नज़रें एक भेद कहे
नज़रों से नज़रें एक भेद कहे
दिल दिल से कहे एक अफसाना
हाय अफसाना
रंगीन फिजा छाये तो जरा
वादे पे कोई आए तो जरा
रंगीन फिजा छाये तो जरा
वादे पे कोई आए तो जरा
ऐ जोश-ऐ-वफ़ा दिल चीज़ है क्या
ऐ जोश-ऐ-वफ़ा दिल चीज़ है क्या
हम जान भी दे दें नजराना
हाय नजराना
बेचैन नज़र बेताब जिग़र
ये दिल है किसी का दीवाना
हाय दीवाना........
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